jhum खेती का जो खेती का दुष्परिणाम
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आदिवासियों द्वारा की जाने वाली झूम खेती से भूमि उत्पादकता और मिट्टी की उर्वरता में बहुत क्षति हो रही थी तथा उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की क्षमता भी कम होती जा रही थी। इस क्षेत्र की भूमि वृक्षों पर आधारित बहुवार्षिक बागवानी फसलों जैसे आम की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है और इसकी वाणिज्यिक क्षमता है।
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