का भागीदार बना।
1. हरिहर कौन था तथा उसकी दिनचर्या क्या थी?
2. हरिहर को तीर्थयात्रा के मार्ग में कौन मिला?
3. हरिहर ने बूढे व्यक्ति की सहायता कैसे की?
4. हरिहर ने घर लौटने का निश्चय क्यों किया? वहाँ लौटने पर हरिह
क्या स्वप्न देखा?
5. इस गद्यांश से क्या शिक्षा मिलती है?
6. उपर्युक्त गद्यांश को उचित शीर्षक दें।
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1. हरिहर एक दयालु और सीधा-सच्चा किसान था। वह खेती-बाड़ी का काम करता था। वह पूरा दिन खेत में जी तोड़-तोड़ मेहनत करता था और शाम का समय ईश्वर की प्रार्थना में बिताता था यही उसकी दिनचर्या थी।
3. हरिहर ने बूढ़े आदमी को खेत में बोने के लिए बीज लाकर दिए। बूढ़े के बेटे की सेवा की जिससे वह स्वस्थ हो गया। इस प्रकार उसने बूढ़े की सहायता की। (iv) हरिहर ने बूढे के परिवार की सहायता में तीर्थयात्रा के पूरे पैसे खर्च कर दिए थे।
4. हरिहर ने बूढे के परिवार की सहायता में तीर्थयात्रा के पूरे पैसे खर्च कर दिए थे। उसने अपनी तीर्थयात्रा बीच में ही छोड़कर वापस घर लौट जाने का निश्चय किया। घर वापस लौटने पर हरिहर ने सपने में भगवान श्रीकृष्ण को देखा, जो उससे कह रहे थे-“हरिहर तुम सच्चे भक्त हो। ... हरिकर को तीर्थयात्रा का पुण्य मिल गया था।
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