कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं? कारण दीजिए।
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मेरा मानना है की समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं वह समाज की बनाई हुई है।
हमें बनाने वाले ने इस दुनिया में सबको इन्सान ही बनाया और इंसानों के साथ बनाया अन्य जीव-जन्तुओं और पेड़-पौधों को और जब इन्सान हर चीज़ में समान हैं और संसार के रचेता ने कोई भेदभाव नहीं किया तो हम इन्सान खुद में क्यूँ किसी भी प्रकार का भेदभाव लाते हैं।
मनुष्य जब सर्वप्रथम धरती पर उत्त्पन्न हुए तो सब बन्दर ही थे और उन्हीं बंदरों से इन्सान के रूप में उजागर हुए। जब सबके उत्त्पन्न होने का कारण एक है तो असमानता का कोई मतलब नहीं बनता।
इसिलिए जो भी असमानता है वह सब समाज द्वारा ही बनाई गई हैं और समाज के उन लोगों द्वारा जो खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाना चाहते थे।
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