कंडक्टर ने अपनी ईमानदारी कैसे बताई
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कंडक्टर ने अपनी ईमानदारी इस तरह दिखाई कि उसने बस खराब होने की स्थिति में फटाफट साइकिल से जा कर दूसरी बस का प्रबंध किया।
‘क्या निराश हुआ जाये’ पाठ में एक बार लेखक सपरिवार बस से यात्रा कर रहा था। रास्ते में एक निर्जन स्थान पर बस खराब हो गई ।रात के दस बज रहे थे। सभी लोग घबराने लगे क्योंकि उस जगह पर डाकुओं का आतंक था। तभी लोगों ने देखा कि कंडक्टर एक साइकिल लेकर तेजी से चला गया। लोगों को शंका हुई कि कंडक्टर डाकुओं से मिला हुआ है, इसीलिए चला गया था। वे ड्राइवर को घेर कर उससे पूछताछ करने लगे, ड्राइवर ने उन्हें किसी तरह समझाया। थोड़ी देर बाद कंडक्टर वापस आया तो उसके साथ एक बस थी और उसने पानी और दूध का भी इंतजाम किया था इस तरह कंडक्टर की इमानदारी देखकर लोगों के चेहरे खिल उठे। अपनी मंजिल पर सकुशल पहुँचने के बाद सभी यात्रियों ने कंडक्टर व ड्राइवर दोनों से अपने बुरे बर्ताव के लिए माफी मांगी।
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कंडक्टर ने अपनी ईमानदारी कैसे बताएं