कॉकरोच में मैल्पीघी नलिकाएँ कहाँ पर स्थित होती है? ये किस प्रकार कार्य करती है।
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कॉकरोच में मैल्पीघी नलिकाएं आहारनाल की मध्यांत्र व पश्चान्त्र के संगम स्थल पर स्थित होती है।
उत्सर्जन की कार्यिकी (Physiology of Excretion)-कॉकरोच की शारीरिक कोशिकाएँ मुख्य रूप से पोटेशियम यूरेट उत्सर्जी पदार्थ के रूप में हीमोलिम्फ में मुक्त करती हैं। नलिकाएँ निरन्तर हीमोलिम्फ से कुछ तरल पदार्थों का अवशोषण करती रहती हैं। इस तरल पदार्थ में पोटेशियम यूरेट, जल, कुछ लवण, अमीनो अम्ल, CO2 आदि होती हैं। नलिकाओं के दूरस्थ भाग की कोशिकाएँ अवरोधी होने के साथ-साथ स्त्रावी भी होती हैं। ये कोशिकाएँ पोटेशियम यूरेट की जल तथा कार्बनडाइ-ऑक्साइड से प्रतिक्रियाएँ कर यूरिक अम्ल, जल तथा पोटेशियम बाइकार्बोनेट के रूप में बदल कर नलिकाओं में मुक्त कर देती हैं। सूक्ष्मांकुरों की गति एवं तरंग गति के कारण नलिकाओं में तरल का बहाव दूरस्थ भाग से समीपस्थ भाग की तरफ होता है। समीपस्थ भाग की कोशिकाएँ मुख्य रूप से अवशोषी होती हैं। ये तरल पदार्थ में से उपयोगी पदार्थों, जैसे-पोटेशियम बाई कार्बोनेट, लवणों, अमीनों अम्लों व जल को अवशोषित कर पुनः हीमोलिम्फ में मुक्त कर देती हैं तथा उत्सर्जी पदार्थों को आहारनाल में मुक्त कर दिया जाता है। सामान्य ताप पर मैलपिजियन नलिका में एक मिनट में पाँच से पन्द्रह बार तक क्रमाकुंचन की गति होती है।