कॉकरोच में श्वसन क्रिया कैसे होती है? संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
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कॉकरोच में श्वसन क्रिया अन्तःश्वसन तथा बाह्य श्वसन रन्ध्रों द्वारा होती है। बाह्य श्वसन एक सक्रिय क्रिया है जबकि अन्तःश्वसन निष्क्रिय क्रिया होती है। श्वसन क्रिया उदरीय पेशियों के लयबद्ध संकुचन व फैलाव से नियंत्रित की जाती है। पेशियों के फैलाव से वायु भीतर प्रवेश करती है तथा संकुचन से वायु बाहर निकलती है। अन्तःश्वसन के दौरान वायु श्वसन रन्ध्रों में से होकर श्वास नलियों (trachea) तथा श्वास नलिकाओं (Tracheoles) में पहुँच जाती है, जिनमें ऊतक द्रव भरा रहता है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन इस द्रव में घुल जाती है तथा विसरित होकर ऊतक कोशिकाओं में पहुँच जाती है। श्वास नलिकाओं में जो द्रव भरा रहता है, वह परासरण दबाव के कारण आगे बढ़ता या पीछे हटता रहता है। उपापचयी पदार्थों के संघनन के कारण दाब अधिक बढ़ जाता है। जिनके कारण श्वास नलिकाओं के अन्तिम सिरों पर द्रव बाहर विसरित होने लगता है और इसका स्थान ग्रहण करने के लिए बाहर के द्रव के साथ वायु भी नलिकाओं में अन्दर की तरफ विसरित हो जाती है।
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कॉकरोच में श्वसन क्रिया अन्तःश्वसन तथा बाह्य श्वसन रन्ध्रों द्वारा होती है। बाह्य श्वसन एक सक्रिय क्रिया है जबकि अन्तःश्वसन निष्क्रिय क्रिया होती है। श्वसन क्रिया उदरीय पेशियों के लयबद्ध संकुचन व फैलाव से नियंत्रित की जाती है। पेशियों के फैलाव से वायु भीतर प्रवेश करती है तथा संकुचन से वायु बाहर निकलती है।