कॉलिप का हार्मोन किसे कहते हैं?
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पादप हार्मोन, जिन्हें फाइटोहार्मोन भी कहते हैं, रसायन होते हैं जो पौधों के विकास को विनियमित करते हैं। पादप हार्मोन, संकेत अणु होते है और बहुत कम परिमाण में इनका उत्पादन पौधों में ही होता है। हार्मोन, स्थानीय रूप से लक्षित कोशिकाओं में कोशिकीय प्रक्रियाओं को विनियमित करते हैं और जब यह पौधे में दूसरे स्थानों पर पहुँचते हैं तो वहाँ कि कोशिकीय प्रक्रियाओं को विनियमित करते हैं। पौधों में जानवरों की तरह हार्मोन के उत्पादन और स्रावण के लिए ग्रंथियों नहीं होतीं। पादप हार्मोन, पौधे को निश्चित आकार देने के साथ, बीज विकास, पुष्पण का समय, फूलों के लिंग, पत्तियों और फलों के वार्धक्य (बुढा़पा) के लिए उत्तरदायी होते हैं।
यह उन ऊतकों जो नीचे या ऊपर की ओर बढ़ते हैं, पत्ती और तने के विकास, फल विकास और पक्वन, पादप की दीर्घायु और यहां तक कि उसकी मृत्यु को भी प्रभावित करते हैं। हार्मोन, पादप के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और इनके अभाव में पादप का विकास नामुमकिन है।
पौधों में मुख्यतः पाँच प्रकार के हार्मोन पाए जाते हैं। वे हैं - अॉक्स़िन, जिब्रेलिक अम्ल, साइटोकाईनिन, इथाइलिन और एब्सिसिक अम्ल।
1 ऑक्सीन हार्मोन
खोज 1880 में डार्विन ने की थी इसका सबसे अधिक निर्माण वर्दी सिरों के शीर्ष पर होता है ऑक्सीजन की खोज बैंड ने चाही में की थी इसके प्रभाव से केवल अग्र कलिका में वृद्धि होती है वह पदार्थ है जो परोहा की कोशिकाओं में वर्गीकरण प्रेरित करते हैं
प्रकाश अनुवर्तन में सहायक
गुरुत्वाअनुवर्तन में सहायक
जड़ निर्माण में सहायक है
2 जिबरेलिन हार्मोन
इनकी खोज 1928 ईस्वी में कूरुसेवा ने की थी इसे जबरेला फ्यूजीकोराई नामक कवक से प्राप्त किया था
प्रमुख कार्य
1 बोनी जातियों के पौधों के तनों की लंबाई में वृद्धि करना 2 यह बिजो की प्रस्तुति को तोड़कर उसके अंकुरण में मदद करता है 3 बीज रहित फल के निर्माण में सहायक से 500 गुना सहायक
3 साइटोकाइनिन हार्मोन
इसकी खोज मिलर ने 1955 में की थी काइनेटिन तथा जिएटिन रसायन साइटोकाइनिन का कार्य करते हैं
प्रमुख कार्य
कोशिका विभाजन को प्रेरित करना जिर्णता का निलंबन करना बीज प्रसूता को तोड़ना
4 एथिलीन हार्मोन
यह एकमात्र गैसीय प्राकृतिक वृद्धि नियंत्रक हार्मोन हैं मुख्य कार्य फलों के पकाने का काम करता है
5 एब्सिसिक अम्ल
इसकी खोज कर्नास एवं एडिकोट ने की थी यह एकमात्र हार्मोन है जो अम्लीय अवस्था में पाया जाता हैं
यह वर्धी रोधक हार्मोन है यह बीजों एवं कलियों के अंकुरण को संतुलित करके उन्हें सुप्त बनाए रखता है
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