निम्न पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (शब्द सीमा 80 शब्द) जाति न पूछो साधु की पूछि लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
संगत कीजै साधु की कभी न निष्फल होय।
लोहा पारस परस ते, सो भी कंचन होय।।
अथवा
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जार जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई।
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
हार कर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोक दिया।
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सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए।
तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का।
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Wah beta moj karli
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