कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी (इंदुमती) के मृत्यु - शोक पर अज तथा निराला की सरोज - स्मृति में पुत्री (सरोज) के मृत्यु - शोक पर पिता के करुण उदगार निकले हैं। उनसे भ्रातृशोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करें।
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राम का भ्रातृशोक बाकि दोनों शोकों से बिलकुल अलग है।
लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम विलाप करते हुए बोले – हे भाई! तुम मुझे कभी दुःखी नहीं देख सकते थे। उस समय राम के पास एक आशा की किरण हनुमान विद्यमान है। वह जानते हैं कि हनुमान यदि समय पर आ जाए, तो उनके भाई को बचाया जा सकता है। अतः वह शोक तो मानते हैं लेकिन बेहोश भाई की दशा को देखकर।
इंदुमती का शोक और पुत्री सरोज का शोक एक श्रद्धाजंलि और कभी लौटकर ना आ सकने की पीड़ा को दर्शाता है। एक पति तथा एक पिता अपनी अमूल्य संपति को खो चूके हैं। उनके पास मात्र सुंदर यादें विद्यमान हैं। उन यादों को सहारा बनाकर वे वियोग करते हैं लेकिन इस वियोग में वापिस पा सकने की आशा कहीं नहीं है। बस उनके लिए कुछ न कर सकने की पीड़ा विद्यमान है। अतः ये बिलकुल अलग शोक हैं।
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