किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं - इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।
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किस्मत हमको रो लेवे है, हम किस्मत को रो ले हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि अपनी खराब किस्मत की निराशा व्यक्त करता है। कवि को लगता है कि किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, वह किस्मत पर रो रहा है और उसकी किस्मत उसे देख कर उदास हो जा रही है। कवि के अनुसार वह और उसकी किस्मत दोनों एक जैसे हैं दोनों अपनी असफलता और अब आपके लिए रोते रहते हैं।
आमतौर के मनुष्य के जीवन में सफलता के लिये किस्मत का कुछ न कुछ योगदान है लेकिन कवि ने अपने जीवन में जो कुछ भी पाया है, वह अपने परिश्रम के बल पर पाया है, उसकी किस्मत का इसमें कोई योगदान नहीं है, ऐसा कवि का कहना है। इसलिये वो अपनी किस्मत पर रो रहा है, और उसकी किस्मत उसे देखकर आँसू बहा रही है।
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