Hindi, asked by lokesh791, 1 year ago

काम लोभ मोह क्रोध माननीय विकारो के बारे में परिचय दीजिये

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Answered by sahani0
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हमारे धर्म ग्रंथों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पाने के लिए काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार-इन पांच विकारों के त्याग को बहुत महत्व दिया गया है। लेकिन क्या ये विकार पूरी तरह त्याज्य हैं? या मानव क्या सचमुच इन विकारों का पूरी तरह से त्याग करने में सक्षम है? ध्यान से सोचें तो ये पांच-काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार-पूरी तरह से विकार की श्रेणी में नहीं आते। जब ये अपनी सीमा का उल्लंघन करते हैं या यों कहें जब इनकी अति होती है, तभी ये विकार बनते हैं। अन्यथा इनके बिना मानव अपना सांसारिक जीवन ही नहीं चला पाता। अति तो भोजन की भी दु:खदाई होती है। फिर ये पाँच क्यों पहले से ही विकार की श्रेणी में मान लिए गए हैं? काम या शक्ति के अभाव में पितृ ऋण से मुक्ति संभव नहीं है। क्रोध वह शक्ति है जो आवश्यकता पड़ने पर मानव को सुरक्षा प्रदान करता है। घर या किसी व्यवस्था में एक नियम-अनुशासन स्थापित करता है। लोभ एक आवश्यकता है, जिसके बिना पारिवारिक और सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह कठिन है। मोह मानव को पितृत्व व मातृत्व के साथ-साथ अन्य रिश्तों के दायित्व को निभाने की प्रेरणा देता है। मनुष्य की जिस वृत्ति को हम अहंकार कहते हैं, उसके लिए 'अहंकार' शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब वह अपनी सीमा का उल्लंघन करती है, अन्यथा इससे पूर्व तो वह स्वाभिमान होता है, जिसका प्रत्येक मानव में होना आवश्यक है। स्वाभिमान के बिना जीवन कोई जीवन नहीं रह जाता। 

sahani0: please mark brain list answer
sahani0: answer ke upar yellow line ko touch kardo
sahani0: isme se short kr ke likh lo
sahani0: ok
sahani0: karlo lo yaar
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