किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
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उत्तर :- 1. फ़िल्म के एक दृश्य में श्रीनिवास नामक घूमते मिठाईवाले से मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे नहीं होते हैं।वह मिठाई खरीद नहीं सकते, इसलिए अपू और दुर्गा उस मिठाईवाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर के पास जाते हैं। मुखर्जी अमीर आदमी हैं। उनको मिठाई खरीदते देख कर ही अपू और दुर्गा खुश हो जाते हैं।
इस दृश्य का कुछ अंश चित्रित होने के बाद शूटिंग कुछ महीनों के लिए स्थगित हो गई। पैसे हाथ आने पर फिर जब उस गाँव में शूटिंग करने के लिए गए, तब खबर मिली कि श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका जो व्यक्ति कर रहे थे, उनका देहांत हो गया है। अब पहले वाले श्रीनिवास का मिलता-जुलता दूसरा आदमी ढूँढ़कर दृश्य का बाकी भाग चित्रित किया गया।
शॉट एक – श्रीनिवास बाँसबन से बाहर आता है।
शॉट दो (नया आदमी) – श्रीनिवास कैमरे की ओर पीठ करके मुखर्जी के घर के गेट के अंदर जाता है।
2. एक दृश्य में अपू खाते-खाते ही कमान से तीर छोड़ता है। उसके बाद खाना छोड़कर तीर वापस लाने के लिए जाता है। सर्वजया बाएँ हाथ में वह थाली और दाहिने हाथ में निवाला लेकर बच्चे के पीछे दौड़ती है, लेकिन बच्चे के भाव देखकर जान जाती है कि वह अब कुछ नहीं खाएगा। भूलो कुत्ता भी खड़ा हो जाता है। उसका ध्यान सर्वजया के हाथ में जो भात की थाली है, उसकी ओर है। इसके बाद वाले शॉट में ऐसा दिखाना था कि सर्वजया थाली में बचा भात एक गमले में डाल देती है, और भूलो वह भात खाता है।
लेकिन यह शॉट हम उस दिन नहीं हो पाया क्योंकि सूरज की रोशनी और पैसे दोनों खत्म हो गए थे । छह महीने बाद, फिर से पैसे इकट्ठा होने पर गाँव में उस सीन का बाकी अंश चित्रित करने के लिए गए। तब भूलो मर चूका था। फिर भूलो जैसे दिखनेवाले एक कुत्ते के साथ शूटिंग पूरी की गई।
दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है वो दृश्य है-
- प्रथम दृश्य- भूलो नामक एक कुत्ते को चावल खाने के दृश्य में दिखाए जाने वाला था, लेकिन उसदिन सूर्यास्त के कारण शूटिंग नही हो पाई और पैसे के कमी के कारण शूटिंग छे महीने बाद फिर शुरू हुआ लेकिन तब वो कुत्ता मर चुका था, इसीलिए गांव से उसी तरह का एक कुत्ता लाया गया और उसे फिल्माया गया। लेकिन वो फिल्म बोहोत स्वाभाविक था और दर्शकों को अंतर पता ही नही चला।
- द्वितीय दृश्य-फिल्म में श्रीनिबास नाम के एक घूमते मिठाईवाले के चरित्र है। जो मुखर्जी के घर जाता था मिठाई बेचने के लिए।और अपु और दुर्गा उसके पीछे पीछे मुखर्जी के घर जाता था। लेकिन इस दृश्य को फिल्माने का काम बिच में रोक दिया गया था। लेकिन फिरसे फिल्माने के समय पता चला की अभिनेता का मौत हो चूका है।तब पिछले अभिनेता के तरह दिखनेवाले एक अभिनेता से बाकी फिल्माया गया था। लेकिन दर्शको को कुछ अंतर नही दिखा।