Hindi, asked by choudharyradhika512, 4 months ago

क्रयार्थं पदस्य किं विच्छेदः​

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Answered by HarshAditya098
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RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिः

May 4, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिः is part of RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिः.

 

Rajasthan Board RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिः

सन्धिः

[नोट- पाठ्यक्रमानुसार इस अध्याय में स्वर संधि के अंतर्गत वृद्धि, यण, अयादि, पूर्वरूपम् तथा व्यंजन संधि के अंतर्गत परसवर्ण, मोऽनुस्वार, जश्त्वम् एवं विसर्ग संधि के अंतर्गत, उत्व, रुत्व, लोप, विसर्ग स्थाने श्, ७, स् आदि संधियों का अध्ययन ही अपेक्षित है। यहाँ उपर्युक्त संधियों के अतिरिक्त पाठ्यपुस्तक में दी गई सभी अन्य संधियों को भी छात्र के अतिरिक्त ज्ञानार्जन के लिये दिया गया है। ]

 

सन्धिशब्दय व्युत्पत्तिः – सम् उपसर्गपूर्वकात् डुधाञ् (धा) धातो: ‘उपसर्गे धो: किः’ इति सूत्रेण ‘किः’ प्रत्यये कृते सन्धिरिति शब्दो निष्पद्यते । (सम् उपसर्गपूर्वक डुधाञ् (धा) धातु से ‘‘उपसर्गे धो: किः’ इस सूत्र से ‘किः’ प्रत्यय करने पर ‘सन्धि’ यह शब्द बनता है।)

सन्धिशब्दस्य परिभाषा – ‘वर्णसन्धान सन्धिः’ अर्थात् द्वयोः वर्णयोः परस्परं यत् सन्धानं मेलनं वो भवति तत्सन्धिरिति कथ्यते ।

‘वर्णसन्धान सन्धिः’ अर्थात् दो वर्षों का परस्पर जो सन्धान या मेल होता है वह सन्धि कहा जाता है।)

पाणिनीयपरिभाषा – ‘परः सन्निकर्षः संहिता’ अर्थात् वर्णानाम् अत्यन्तनिकटता संहिता इति कथ्यते । यथा-सुधी + उपास्यः इत्यत्र ईकार-उकारवर्णयोः अत्यन्तनिकटता अस्ति। एतादृशी वर्णनिकटता एव संस्कृतव्याकरणे संहिता इति कथ्यते । संहितायाः विषये एव सन्धिकार्ये सति ‘सुध्युपास्यः’ इति शब्दसिद्धिर्जायते । (परः सन्निकर्षः संहिता’ अर्थात् वर्षों की अत्यधिक निकटता संहिता कही जाती है। जैसे- ‘सुधी+उपास्यः’ यहाँ पर ‘ईकार’ तथा ‘उकार’ वर्षों की अत्यधिक निकटता है। इस प्रकार की वर्गों की निकटता ही संस्कृत व्याकरण में संहिता कही जाती है। संहिता के विषय में ही

सन्धि कार्य होने पर ‘सुध्युपास्य’ इस शब्द की सिद्धि होती है।)

सन्धिभेदाः – संस्कृतव्याकरणे सन्धेः त्रयो भेदाः सन्ति। ते इत्थं सन्ति

अच्सन्धिः (स्वरसन्धिः) ।

हलसन्धिः (व्यंजनसन्धिः) ।

विसर्गसन्धिः।

अच्-सन्धिः (स्वर संधिः)

यदा द्वयोः स्वरयोः सन्धानं मेलनं वो जायते, तत् सन्धानं स्वरसन्धिः अच्सन्धिः वा कथ्यते । अत्र अचूसन्धौ स्वरस्य स्थाने आदेशो भवति । स्वरसन्धयोऽष्टविधाः भवन्ति । तथा हि- (जब दो स्वरों का सन्धान अथवा मेल होता है, वह सन्धान या स्वरसन्धि अथवा अच्सन्धि कहा जाता है। यहाँ पर अच् सन्धि में ‘स्वर’ के स्थान पर आदेश होता है। स्वर सन्धि आठ प्रकार की होती हैं जो कि-)

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