किस डिज़ाइनपद्धति का रूप स्त्रियोचित पहचान लिए हुए है? स्पष्ट करें।
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घर की देहली यानी प्रवेश द्वार पर फर्श को सजाने की पद्धति स्त्रियोंचित पहचान लिए होती है। भारत में प्राचीन काल से ही भारतीय घरों में प्राचीन काल से ही ऐसी परंपरा है कि किसी विशेष मांगलिक अवसर पर घर के आगे आंगन में या देहली यानी प्रवेश द्वार के आगे फर्श पर गोबर या मिट्टी से लीप-पोत कर विशेष रूप से तैयार की गई दीवारों और आंगन पर तरह-तरह के चित्रांकन किए जाते हैं। यह चित्रांकन आटे और चूने को मिलाकर किए जाते हैं आटे या चुने छह किए जाते हैं रंगीन चित्रांकन के लिए रंगों का इस्तेमाल किया जाता है यह चित्रांकन हर भारत के हर क्षेत्र में अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। फर्श पर सजाने की पद्धति को अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ऐ,.ेटसे बंगाल में अल्पना बिहार में, झुनीति उड़ीसा में. मांडणा राजस्थान में, आंध्र प्रदेश में कोलम या कलामेजूतु कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में तथा उत्तर प्रदेश में चौक पून यह भी कहा जाता है यह डिजाइन पद्धति स्त्रियोंचित्र पहचान लिए होती हैं। अक्सर भारतीय घरों में स्त्रियां फर्श पर इन डिजायनों को बनाती मिल जाती है।
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