कुसंग से बचने के लिए माताजी का बेटे को पत्र
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प्रिय अनुज, विद्यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में वह जो कुछ भी ग्रहण करता है उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है । कुसंगति में पड़कर तुम स्वयं अपना भविष्य नष्ट कर रहे हो । अभी समय है कुसंगति के मार्ग को छोड्कर तुम अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करो ।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम हमारी आशाओं पर खरे उतरोगे और आगामी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर दिखाओगे । पूज्य माता-पिता की ओर से तुम्हें आशीर्वाद ।
तुम्हारा भाई
सुरेश पांचाल
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