किसी गाँव में एक अन्धा और एक लंगड़ा रहते थे। उस गाँव में आग लग गयी और सब लोग गाँव<br />छोड़कर भाग गये। अन्धे ने लंगड़े से कहा, "आओ, मेरे कन्धे पर बैठ जाओ। तुम रास्ता बताओगे और मैं<br />चलूँगा।' दोनों ने ऐसा ही किया और वे अपनी योजना व बुद्धिमानी के कारण कुशलतापूर्वक गाँव से बाहर<br />चले गये।<br />DEHAalmorale
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अंगूर खट्टे हैं. लोमड़ी और अंगूर की कहानी सबने सुनी होगी. लोमड़ी ने एक बार बेल में लटका हुआ अंगूर का गुच्छा देखा. उस के मुँह में पानी आ गया. उसने बहुत कोशिश की पर उन अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी. अंत में यह कह कर कि अंगूर खट्टे हैं वह वहां से चलती बनी. जब कोई व्यक्ति अपनी पहुँच से बाहर की चीज़ को खराब बताता है तो यह कहावत कही जाती है. इस से मिलती जुलती एक कहावत और भी है – मजबूरी का नाम महात्मा गांधी, जब किसी व्यक्ति के पास सुख सुविधा या विलासिता के साधन नहीं होते हैं तो वह कहता है कि भाई – हमें यह सब पसंद नहीं है, हम तो महात्मा गांधी के चेले हैं.
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