कृषि प्रदर्शन में एक घंटा निबंध
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कृषि प्रदर्शनी में एक घंटा
पिछले दिनों सुबह-सुबह मेरा एक किसान मित्र गांव से हमारे शहर इंदौर आया। उसने बताया कि इंदौर में एक कृषि प्रदर्शनी लगी हुई है। जिसे देखने के लिए वह आया है। वह मेरे यहां ठहरा था। नहा धोकर तैयार होकर हम लोगों ने थोड़ी देर बातें की। उसने बताया कि प्रदर्शनी शाम 5 बजे से पूरी शुरू हो जाएगी। अगर तुम्हारे पास समय है तो मेरे साथ चलो। तो मैंने कहा ठीक है मैं भी देखता हूं, कृषि प्रदर्शनी कैसी होती है।
शाम 5 बजे हम कृषि प्रदर्शनी देखने पहुंच गए और जल्दी से हमने वहां पर प्रवेश कर लिया। प्रदर्शनी में ज्यादातर किसान भाई लोग ही थे, जो दूर-दूर के गांवों से आए थे। प्रदर्शनी में अनेकों स्टाल लगे थे। जिनमें कुछ स्टाल पर कृषि से संबंधित पुस्तकें थीं। तो कुछ स्टाल पर कई लोग कृषि से संबंधित तकनीक बातें किसान भाइयों को बता रहे थे और आधुनिक कृषि तकनीक के बारे में समझा रहे थे।
कुछ कृषि के बीजों से संबंधित स्टाल थे तो दस-बारह स्टाल ऐसे थे जिनमें कृषि के अत्याधुनिक यंत्र थे। कुछ ऐसे विदेशी यंत्र थे, जो भारत में एकदम नए थे। बहुत से यंत्र जुताई से संबंधित थे। कुछ यंत्र रोपण से संबंधित थे तो कुछ यंत्र खाद से संबंधित थे। कुछ यंत्र सिंचाई से संबंधित थे। अनेक कटाई-छंटाई करने के लिये भी। वह सारे आधुनिक यंत्र को किसान भाई बड़े कौतूहल से देख रहे थे। कुछ यंत्र बड़े महंगे थे जो किसी आम किसान की पहुंच से बाहर थे। इन यंत्रों को कोई बड़ा किसान ही खरीद सकता था।
मेरे दोस्त ने कृषि से संबंधित कुछ किताबें खरीदी और एक स्टाल पर कुछ नई-नई कृषि तकनीकों की जानकारी ली। उसने एक छोटा सा जुताई संबंधी यंत्र भी लिया जो उसके बजट के अनुसार था। उसने कुछ एक यंत्रों के पंपलेट भी लिये ताकि भविष्य में उनको मंगा सके। एक घंटा कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। हम लोग कृषि प्रदर्शनी से वापस आ गए और उसी रात मेरा दोस्त वापस अपने गांव चला गया।
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कृषि प्रदर्शनी में एक घंटा
पिछले दिनों सुबह-सुबह मेरा एक किसान मित्र गांव से हमारे शहर इंदौर आया। उसने बताया कि इंदौर में एक कृषि प्रदर्शनी लगी हुई है। जिसे देखने के लिए वह आया है। वह मेरे यहां ठहरा था। नहा धोकर तैयार होकर हम लोगों ने थोड़ी देर बातें की। उसने बताया कि प्रदर्शनी शाम 5 बजे से पूरी शुरू हो जाएगी। अगर तुम्हारे पास समय है तो मेरे साथ चलो। तो मैंने कहा ठीक है मैं भी देखता हूं, कृषि प्रदर्शनी कैसी होती है।
शाम 5 बजे हम कृषि प्रदर्शनी देखने पहुंच गए और जल्दी से हमने वहां पर प्रवेश कर लिया। प्रदर्शनी में ज्यादातर किसान भाई लोग ही थे, जो दूर-दूर के गांवों से आए थे। प्रदर्शनी में अनेकों स्टाल लगे थे। जिनमें कुछ स्टाल पर कृषि से संबंधित पुस्तकें थीं। तो कुछ स्टाल पर कई लोग कृषि से संबंधित तकनीक बातें किसान भाइयों को बता रहे थे और आधुनिक कृषि तकनीक के बारे में समझा रहे थे।
कुछ कृषि के बीजों से संबंधित स्टाल थे तो दस-बारह स्टाल ऐसे थे जिनमें कृषि के अत्याधुनिक यंत्र थे। कुछ ऐसे विदेशी यंत्र थे, जो भारत में एकदम नए थे। बहुत से यंत्र जुताई से संबंधित थे। कुछ यंत्र रोपण से संबंधित थे तो कुछ यंत्र खाद से संबंधित थे। कुछ यंत्र सिंचाई से संबंधित थे। अनेक कटाई-छंटाई करने के लिये भी। वह सारे आधुनिक यंत्र को किसान भाई बड़े कौतूहल से देख रहे थे। कुछ यंत्र बड़े महंगे थे जो किसी आम किसान की पहुंच से बाहर थे। इन यंत्रों को कोई बड़ा किसान ही खरीद सकता था।
मेरे दोस्त ने कृषि से संबंधित कुछ किताबें खरीदी और एक स्टाल पर कुछ नई-नई कृषि तकनीकों की जानकारी ली। उसने एक छोटा सा जुताई संबंधी यंत्र भी लिया जो उसके बजट के अनुसार था। उसने कुछ एक यंत्रों के पंपलेट भी लिये ताकि भविष्य में उनको मंगा सके। एक घंटा कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। हम लोग कृषि प्रदर्शनी से वापस आ गए और उसी रात मेरा दोस्त वापस अपने गांव चला गया।.......☺
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