Hindi, asked by nishuu85, 10 months ago

काँटों पर कविता हिंदी में​

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Answered by himanshu51899
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काँटे तो काँटे होते हैं उनके चुभने का क्या रोना ।

मुझको तो अखरा करता है फूलों का काँटों-सा होना ।

युग-युग तक उनकी मिट्टी से फूलों की ख़ुशबू आती है

जिनका जीवन ध्येय रहा है कांटे चुनना कलियाँ बोना ।

बदनामी के पर होते हैं अपने आप उड़ा करती है

मेरे अश्रु बहें बह जाएँ तुम अपना दामन न भिगोना ।

दुनिया वालों की महफ़िल में पहली पंक्ति उन्हें मिलती है

जिनको आता है अवसर पर छुपकर हँसना बन कर रोना ।

वाणी के नभ में दिनकर-सा ‘उदय’ नहीं तू हो सकता है

अगर नहीं तूने सीखा है नये घावों में क़लम डुबोना ।

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