Social Sciences, asked by singhvinay9737, 11 months ago

प्रकट और अप्रकट प्रकार्यों में अंतर स्पष्ट कीजिए। इस संबंध में उचित
उदाहरण दीजिए।​

Answers

Answered by zk821989
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Explanation:

. भूतावेश का प्रकटीकरण – प्रस्तावना

कोई व्यक्ति अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच आदि) से पूर्णतः आविष्ट होने पर भी वह व्यक्ति अथवा उसके आसपास के लोग इससे अनभिज्ञ हो सकते हैं । आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति अपने अस्तित्व की पहचान नहीं होने देती, इससे आवेशन को छिपाने का उसका उद्देश्य सफल होता है; क्योंकि आवेशन का पता चलने पर आविष्ट व्यक्ति आवेशित शक्ति से छुटकारा पाने का हर संभव प्रयत्न कर सकता है ।

१.१ अप्रकट भूतावेश की परिभाषा

अनिष्ट शक्ति अप्रकट है, ऐसा कहने का अर्थ है कि आविष्ट शक्ति अपने अस्तित्व को प्रकट नहीं होने देती । यहां बाह्यतः व्यक्ति का अस्तित्व दिखाई देता है परंतु अनिष्ट शक्ति अपनी इच्छा से इसे परिवर्तित कर व्यक्ति को नियंत्रित कर सकती है ।

१.२ प्रकट भूतावेश की परिभाषा

अनिष्ट शक्ति प्रकट है, ऐसा कहने का अर्थ है कि अनिष्ट शक्ति प्रकट हुई है और उसका अस्तित्व बाह्यतः प्रतीत हो रहा है । यहां व्यक्ति के आचरण में परिवर्तन हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता । इस समय व्यक्ति का अपना अस्तित्व छिप जाता है । क्या हो रहा है, इसका भान व्यक्ति को नहीं रहता अथवा यदि होता भी है, तो उसका अपनी कर्मेंद्रियों पर कोई नियंत्रण नहीं रहता । जिन प्रकरणों में आवेशन व्यक्ति के संपूर्ण जीवनकाल को ही व्याप्त कर लेता है, वहां अनिष्ट शक्ति का व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यक्तित्व से इतना घुलमिल जाता है कि शक्ति के पूर्ण प्रकटीकरण के समय भी ऐसा लगता है कि व्यक्ति ही ऐसा आचरण कर रहा है, क्योंकि व्यक्ति के आचरण में कोई अंतर नहीं दिखाई देता ।

टिप्पणी : यहां पर प्रकट एवं अप्रकट शब्दों का प्रयोग व्यक्ति के अनिष्ट शक्ति द्वारा आविष्ट होने के संदर्भ में किया है; तथापि इन शब्दों का प्रयोग अच्छी शक्तियों के संदर्भ में भी किया जा सकता है ।

२. भूतावेश प्रकट होने के कारण

२.१ अनिष्ट शक्ति का स्वयं ही प्रकट होना

सामान्य नियम यह है कि अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच आदि) कभी भी प्रकट नहीं होना चाहती, जबतक उसकी अपनी इच्छा न हो । वे अपनी इच्छा से तभी प्रकट होती हैं, जब

वे रज-तम से भरे सुविधाजनक वातावरण में हों । रज-तमात्मक वातावरण अर्थात, जहां लोग असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हों, मद्यपान, मादक पदार्थ, धूम्रपान, वेश्याव्यवसाय, मंद प्रकाश, रज-तमात्मक संगीत इत्यादि । ऐसे वातावरण में लोगों का आचरण सामान्य आचरण से भिन्न रहता है । प्रायः जिसे हम लोगों का अपने बाल खोलना समझते हैं, वह वास्तव में अनिष्ट शक्ति के अस्तित्त्व का आंशिक अथवा पूर्ण प्रकटीकरण होता है । अधिकांश प्रसंगों में आविष्ट व्यक्ति को अनिष्ट शक्ति के प्रकट होने का भान नहीं रहता, क्योंकि वह उसके अस्तित्त्व से एकरूप हो चुका होता है । कभी-कभी जब इस प्रकार के कार्यक्रमों में अनिष्ट शक्ति प्रकट हो जाती है, तब व्यक्ति को समय का भान नहीं रहता अर्थात कितना समय बीत गया, यह याद नहीं रहता, जिसका एक अर्थ है अपना अस्तित्व खो देना अर्थात होनेवाली घटनाओं का भान न रहना । जब वे समय का भान खो देते हैं, तब अनिष्ट शक्ति ही आगे बढकर उनके लिए निर्णय लेती है । ऐसे प्रसंगों में आविष्ट व्यक्ति असुविधाजनक परिस्थितियों में फंस जाता है और वह इस बात से अनभिज्ञ रहता है कि यहां कैसे पहुंचा ।

अधिकांश प्रसंगों में अनिष्ट शक्ति भयभीत करने अथवा झगडे उत्पन्न कर पारिवारिक जीवन बिगाडने के लिए प्रकट हो जाती है । उच्च स्तर की अनिष्ट शक्तियां जब आविष्ट व्यक्ति द्वारा कोई भयंकर विध्वंस कराना चाहती हैं, तब भी वे प्रकट होती हैं ।

कभी-कभी वे जानबूझकर अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने, भयभीत करने अथवा आविष्ट व्यक्ति अथवा आसपास के साधकों की साधना में बाधा लाने के लिए प्रकट होकर उन्हें साधना से दूर करने का अथवा भयभीत करने का प्रयास करती हैं उदा. सत्संग के समय ।

जिस समय वे अपनी इच्छानुसार प्रकट होती हैं,उस समय जबतक वे न चाहे यह प्रकटीकरण किसी के ध्यान में नहीं आता ।

२.२ बलपूर्वक निकाले जाने पर अनिष्ट शक्ति का प्रकट हो जाना

कभी-कभी व्यक्ति को आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति को प्रकट होकर अपना अस्तित्व सामने लाने के लिए विवश किया जाता है । इस प्रकार के प्रकटीकरण के निम्नलिखित कारण हैं :

अनिष्ट व्यक्ति पर अतिरिक्त सात्त्विकता का प्रभाव डाला जाता है -उदा. आध्यात्मिक उपचारों का सत्र

अनिष्ट शक्ति का आध्यात्मिक बल घट जाना ।

अनिष्ट शक्ति और आविष्ट व्यक्ति में लेन-देन समाप्त होने के कारण अनिष्ट शक्ति का व्यक्ति को छोडने का समय आ जाना ।

अनिष्ट शक्ति के नष्ट होने का समय आना ।

२.२.१ किसी उच्च स्तर की सात्त्विकता के संपर्क में आने पर आविष्ट व्यक्ति प्रकट क्यों होता है ?

आविष्ट व्यक्ति में विद्यमान अनिष्ट शक्ति जब किसी सात्विक वस्तु अथवा व्यक्ति के ( उदा. आध्यात्मिक दृष्टि स

Answered by dackpower
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प्रकट और अप्रकट प्रकार्यों में अंतर

Explanation:

प्रकट कार्य किसी भी सामाजिक पैटर्न के मान्यता प्राप्त और इच्छित परिणाम हैं, जबकि अव्यक्त कार्य उन अपरिचित और अनपेक्षित परिणाम हैं। किसी भी सामाजिक संस्था के प्रकट कार्यों का विश्लेषण करने के लिए, हमें एक समूह, समुदाय या समाज की निरंतरता के लिए इसके योगदान का अध्ययन करना होगा।

जबकि प्रकट कार्य जानबूझकर और जानबूझकर लाभकारी परिणाम उत्पन्न करने के लिए किए गए हैं, अव्यक्त कार्य न तो सचेत हैं और न ही जानबूझकर, बल्कि लाभ भी उत्पन्न करते हैं। वे प्रभाव में हैं, अनपेक्षित सकारात्मक परिणाम।

समाजशास्त्री मानते हैं कि सामाजिक संस्थाएं प्रकट कार्यों के अलावा अव्यक्त कार्यों का उत्पादन करती हैं। शिक्षा संस्थान की अव्यक्त क्रियाओं में उसी स्कूल में मैट्रिक पास करने वाले छात्रों के बीच मित्रता का गठन शामिल है; स्कूल नृत्य, खेल की घटनाओं और प्रतिभा शो के माध्यम से मनोरंजन और सामाजिक अवसरों का प्रावधान; और गरीब छात्रों को दोपहर का भोजन (और नाश्ते, कुछ मामलों में) खिलाते हैं जब वे अन्यथा भूखे रह जाते थे।

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हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नही लेती कैसे ?

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