Political Science, asked by HarshaVardhan6806, 1 year ago

क्या आप इस तर्क से सहमत है कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है?

Answers

Answered by TbiaSupreme
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"मैं इस कथन से सहमत नहीं हूं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिनता बढ़ रही है| वस्तुतः  देश दुनिया के विभिन्न भाग और विभिन्न देश सांस्कृतिक दृष्टि से एक दूसरे के और नजदीक आ रहे हैं| मैं भारत का उदाहरण देना चाहता हूं| हम जो कुछ खाते पीते ,पहनते हैं अथवा सोचते हैं इन सब पर इसका असर नजर आता है हमारी पसंद नापसंद भी वैश्वीकरण के असर से तय होती हैं|

2. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव से यह भय रहता है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है| सांस्कृतिक समरूपता का तात्पर्य यह है कि एक नई विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है जबकि विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है|

3. कुछ लोगों का मानना है कि नीली जींस और बर्गर की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन शैली के प्रभाव से है क्योंकि आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है| संसार हमें वैसा ही दिखता है जैसा ताकतवर संस्कृति से दिखाना चाहती है| कुछ लोगों का मानना है कि विभिन्न संस्कृतियों अपने आप को प्रभुत्व साली अमेरिकी ढर्रे पर डालने लगी है| इससे संपूर्ण विश्व की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है |इसलिए न केवल यह गरीब देशों के लिए बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए खतरनाक है|

4. सांस्कृतिक प्रभाव सिर्फ नकारात्मक है यह मान लेना भी एक भूल होगी| संस्कृति को जड़ और स्थिर वस्तु नहीं है| हर संस्कृति समय के साथ बाहरी प्रभावों को स्वीकार करती है| कुछ बाहरी प्रभाव नकारात्मक भी होते हैं क्योंकि वह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाते हैं| कई बार इससे सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना भी संस्कृति का परिष्कार होता है| मसाला डोसा का विकल्प बर्गर नहीं है इसलिए बर्गर से कोई खतरा नहीं है| अपितु हमारे पसंद के भोजन में एक और चीज शामिल हो जाती है|

5. इसी तरह खादी कुर्ते के साथ नीली जींस खूब पहनी जाती है| मजेदार बात यह है कि हम खादी का कुर्ता उसी देश को निर्यात कर रहे हैं जिन्होंने हमें नीली जींस दी है| जींस के ऊपर अब खादी का कुर्ता पहने अमेरिकियों को देखना अब संभव है|

6. वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है| इसे सांस्कृतिक विभिन्न करण कहते हैं| संस्कृतियों का प्रभाव एकतरफा नहीं होता|

"

Answered by suggulachandravarshi
4

Answer:

देश दुनिया के विभिन्न भाग और विभिन्न देश सांस्कृतिक दृष्टि से एक दूसरे के और नजदीक आ रहे हैं| मैं भारत का उदाहरण देना चाहता हूं| हम जो कुछ खाते पीते ,पहनते हैं अथवा सोचते हैं इन सब पर इसका असर नजर आता है हमारी पसंद नापसंद भी वैश्वीकरण के असर से तय होती हैं|

2. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव से यह भय रहता है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है| सांस्कृतिक समरूपता का तात्पर्य यह है कि एक नई विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है जबकि विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है|

3. कुछ लोगों का मानना है कि नीली जींस और बर्गर की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन शैली के प्रभाव से है क्योंकि आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है| संसार हमें वैसा ही दिखता है जैसा ताकतवर संस्कृति से दिखाना चाहती है| कुछ लोगों का मानना है कि विभिन्न संस्कृतियों अपने आप को प्रभुत्व साली अमेरिकी ढर्रे पर डालने लगी है| इससे संपूर्ण विश्व की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है |इसलिए न केवल यह गरीब देशों के लिए बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए खतरनाक है|

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