क्या धर्म में राजनीति का हस्तक्षेप होना चाहिए?
Answers
हिंदी में एक बड़ी ही प्रसिद्ध लोकोक्ति है-
काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती जिसका अर्थ होता है - किसी व्यक्ति को एक बार मूर्ख बनाया जा सकता है पर बार-बार नहीं।
भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है। जहां एक ओर हिंदू भाई मुस्लिम भाईयों के साथ ईद पर चांद का इतंज़ार करते है वहीं एक वाहेगुरु जी की अरदास लगाते हुए मदर मैरी को भी याद करते हुए दो अलग-अलग समुदाय के व्यक्ति भारत विविधताओं का देश है बतातते है और ज़रा सोचिए कितना स्वच्छ सोच का है यह भारत।
पर आखिरकार काठ की हांडी चढ़ाने का समय आ ही गया क्योंकि वोटबैंक ज्यादा ज़रूरी है क्योंकि वो नोटबैंक है और यही से शुरू हुई भारत की दुर्दशा।
आज बड़े ही शर्मनाक रूप में पैसों की राजनीति ने “धर्म को खरीद लिया है” शायद नहीं ब्लिक बिल्कुल हाँ।
गुजरात के चुनाव जहां पिछड़ी जाति पर हल्ला मचाए हुए थे वही दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में भगवाकरण से पूरा प्रदेश रंग गया था।
जहां जम्मू कश्मीर में पत्थर बाजो ने अपने डर को हटाया वही दूसरी ओर सेना को वो करने पर मज़बूर किया जहां सेना के हाथ बंधे हुए है और बस सोशल मीडिया में फैलता है और दोनो ओर से यातानात के नियमिताओं को ताक में रखती वो विकृत सोच वाली सोच!!!
“धर्म आस्ता है और राजनीति आकंड़े है।
धर्म वो भटाकाव है,जो ज्यादा वोटरों को रुझान बताता है और राजनीति गूगल मैंप,जहाँ भी जाएं फौलो यूं।”
HOPE IT HELPS YOU
PLEASE MARK ME AS BRAINLIST
THANK YOU!