कबीर के अिुसयर व्खि अपिेस्वियि को निमषि कै सेरि सकतय है!
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1_ अपने को परखो दूसरों को नहीं
ये दोहा कहता है कि जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। पर जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। यानि हमें जजमेंटल नहीं बनना सेल्फ एनेलेटिकल बनना है।
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