कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?
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कबीर दास परमेश्वर के दास थे, परमेश्वर नहीं थे Kabeer ke Dohe. भारत में अपने अपने गुरूओं को ईश्वर घोषित करने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद है। उनमें एक नाम श्री रामपाल जी का भी है। वे कबीरपंथी हैं और उन्हें जगतगुरू कहा जा रहा है।
Note..extra..
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
दुःख में सुमिरन सब करे ,सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय।।
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई। बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई।
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कबीर की दृष्टि मे ईश्वर एक है इसके समर्थन मे वे तर्क देते हुए कहते है की --
•: परमात्मा लकड़ी मे अग्नि की तरह व्याप्त रहता है|
• सभी मानव एक ही मिट्टी अर्थात ब्रह्म से निर्मित है|
• एक ही मिट्टी से सभी जीवो का निर्माण हुआ है|
• जिस प्रकार विश्व मे एक ही वायु और जल है उसी प्रकार सम्पूर्ण संसार मे एक ही परम ज्योति व्याप्त है|