Hindi, asked by vermadamini1122, 1 month ago

कबीर द्वारा लिखित एक दोहा पढ़िए ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोया औरन को शीतल करे आपा हो शीतल होय इसका आश्य अपने शब्दों में लिखिए चाहे तो आप अपने शिक्षक की मदद ले सकते हैं​

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Answered by Anonymous
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Answer:

विनम्र और मीठी वाणी सभी को अच्छी लगती है। कडवे सत्य को भी विनम्र लहजे में रखा जा सकता है। विनम्रता ज्ञान की पहचान है। जैसे फलदार वृक्ष झुकता है वैसे ही ज्ञानी व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए। विनम्र और मीठी वाणी से स्वंय का अहंकार तो दूर होता है और दूसरों को भी इससे सुख प्राप्त होता है, जबकि कटु वचनों से स्वंय को भी दुःख पहुँचता है। वाणी की मीठास बड़े से बड़े विवाद को समाप्त कर सकती है। कबीर साहेब ने भी कई प्रकार की यातनाएं सही लेकिन कहीं भी उनकी वाणी में प्रतिशोध और बदले की भावना दिखाई नहीं देती है जो की एक संत की मूल निशानी है।

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