कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
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Answer:
sangat kar mukhya gayak ke chote bhai ke samn hota h jo uske tute huEd svar ko ucha uthane ka kary karta h or use yah ehsas dilata h ki vah akela nhi h isse sangatkar ki tyag or mukhya gayak ki kala ko nikharne ki visheh bhumika h
HOPE IT HELPS.....
उपर्युक्त कथन के आलोक में संगतकार की भूमिका का स्पष्टीकरण निम्नलिखित है
Explanation:
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मुख्य गायक अपने स्वर -संधान में पूरी तरह तल्लीन हो जाता है। उसे अपनी सीमाओं तक का ख़याल नहीं रहता। वह अपने ही तरंग में इस कदर डूब चूका होता है कि अपने आप को 'आगे रास्ता बंद है ' या 'बस और नहीं ' जैसे संकेत देना भूल जाता है। एक तरफ श्रोता उसकी स्वर लहरी में आकंठ डूबे झूम रहे होते हैं, तो दूसरी तरफ गायक उलझन में होता है। लेकिन इन दोनों स्थिति के बीच संगतकार को यह बराबर ध्यान बना रहता है कि उसका दायित्व क्या है। उसे गायक की स्वर लहरी में बहने की इजाज़त नहीं है। उसे मंद स्वर में बने रह कर स्थायी की टेक कायम रखनी है। चूँकि एक वही है जो गायक के सचेत होने पर उसे यह अहसास करा सकता है कि वह कहाँ से शुरू हुआ था और उसे कहाँ तक नीचे उतरना है ,वह कहाँ से एक और स्वर-यात्रा आरम्भ कर सकता है।