निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं -
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रूकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला - साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
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निम्नलिखित वाक्य पात्रों विशेषता संकेत करती है :
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रूकते और नेताजी को निहारते।
उतर : हालदार साहब कस्बे के चौराहे पर हमेशा रूकते और नेताजी की मूर्ति को निहारते। हालदार साहब स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान की भावना रखते थे। नेताजी को पहनाए गए चश्मे के माध्यम से वे कैप्टन की देशभक्ति को देखकर खुश होते थे जिनके लिए उनके मन में श्रद्धा थी।
इस प्रकार हालदार साहब नेताजी की मूर्ति को बार-बार निहार चौराहे पर रूकते और नेताजी को निहारते और कर अपनी देशभक्ति की भावना का ही परिचय देते हैं।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला - साहब! कैप्टन मर गया।
उतर : कैप्टन की मृत्यु की बात पर पानवाले का उदास हो गया था और सर झुका कर आँसू पोछना इस बात को प्रकट करता है कि पानवाले के ह्रदय में कैप्टन के प्रति गहरी आत्मीयता की भावना थी। कैप्टन के मरने के बाद पानवाले की आंखों में आंसू आने से हमें साफ पता चलता है कि वह अन्दर ही अन्दर कैप्टन से अपनत्व की भावना रखता था।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उतर : कैप्टन बार-बार नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। ऐसा करने का कारण उसका अपने अन्दर देशभक्ति की भावना के होने से है। वह वास्तव में हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों खासकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति अपने मन में सम्मान की भावना रखते थे। इन्हीं भावनाओं के तहत कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर बार-बार चश्मा लगा देते थे।
Explanation:
क) हालदार साहब अपने कर्म के प्रति सजग तथा पान खाने के शौकीन थे। उनके मन में शहीदों और देशभक्तों के प्रति आदर की भावना थी। नेताजी की मूर्ति को रुककर ध्यान से देखना तथा चश्माविहीन मूर्ति को देखकर आहत होना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी में यह भावना और भी प्रबल हो।
ख) पानवाला प्रायः कैप्टन चश्मेवाले का उपहास उड़ाया करता था, जिससे ऐसा लगता था, जैसे उसके अंदर देशभक्ति का भाव नहीं है पर जब कैप्टन मर जाता है तब उसके देशप्रेम की झलक मिलती है। वह कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार को उसकी मृत्यु की सूचना देता है। ऐसा करते हुए उसकी आँखें भर आती हैं।
ग) कैप्टने भले ही शारीरिक रूप से फ़ौजी व्यक्तित्व वाला न रही हो पर मानसिक रूप से वह फ़ौजियों जैसी ही मनोभावना रखता था। उसके हृदय में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर वह आहत होता था और उस कमी को पूरा करने के लिए अपने सीमित आय से भी चश्मा लगा दिया करता था ताकि नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा न दिखे।