Hindi, asked by mg9248387, 6 months ago

kabir daas ji ki rachanao ke naam bataiye​

Answers

Answered by jainnishank592004
0

Answer:

दोहा etc many of them .....

Answered by hiyashreejha
2

Answer:

कबीर दास जी की अन्य रचनाएं:

साधो, देखो जग बौराना – कबीर

कथनी-करणी का अंग -कबीर

करम गति टारै नाहिं टरी – कबीर

चांणक का अंग – कबीर

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर

मोको कहां – कबीर

रहना नहिं देस बिराना है – कबीर

दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर

राम बिनु तन को ताप न जाई – कबीर

हाँ रे! नसरल हटिया उसरी गेलै रे दइवा – कबीर

हंसा चलल ससुररिया रे, नैहरवा डोलम डोल – कबीर

अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल – कबीर

सहज मिले अविनासी / कबीर

सोना ऐसन देहिया हो संतो भइया – कबीर

बीत गये दिन भजन बिना रे – कबीर

चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी – कबीर

अवधूता युगन युगन हम योगी – कबीर

रहली मैं कुबुद्ध संग रहली – कबीर

कबीर की साखियाँ – कबीर

बहुरि नहिं आवना या देस – कबीर

समरथाई का अंग – कबीर

पाँच ही तत्त के लागल हटिया – कबीर

बड़ी रे विपतिया रे हंसा, नहिरा गँवाइल रे – कबीर

अंखियां तो झाईं परी – कबीर

कबीर के पद – कबीर

जीवन-मृतक का अंग – कबीर

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार – कबीर

धोबिया हो बैराग – कबीर

तोर हीरा हिराइल बा किचड़े में – कबीर

घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा – कबीर

सुगवा पिंजरवा छोरि भागा – कबीर

ननदी गे तैं विषम सोहागिनि – कबीर

भेष का अंग – कबीर

सम्रथाई का अंग / कबीर

मधि का अंग – कबीर

सतगुर के सँग क्यों न गई री – कबीर

उपदेश का अंग – कबीर

करम गति टारै नाहिं टरी – कबीर

भ्रम-बिधोंसवा का अंग – कबीर

पतिव्रता का अंग – कबीर

मोको कहां ढूँढे रे बन्दे – कबीर

चितावणी का अंग – कबीर

कामी का अंग – कबीर

मन का अंग – कबीर

जर्णा का अंग – कबीर

निरंजन धन तुम्हरो दरबार – कबीर

माया का अंग – कबीर

काहे री नलिनी तू कुमिलानी – कबीर

गुरुदेव का अंग – कबीर

नीति के दोहे – कबीर

बेसास का अंग – कबीर

सुमिरण का अंग / कबीर

केहि समुझावौ सब जग अन्धा – कबीर

मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा – कबीर

भजो रे भैया राम गोविंद हरी – कबीर

का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ / कबीर

सुपने में सांइ मिले – कबीर

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै – कबीर

तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के – कबीर

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै – कबीर

साध-असाध का अंग – कबीर

दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ – कबीर

माया महा ठगनी हम जानी – कबीर

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो – कबीर

रस का अंग – कबीर

संगति का अंग – कबीर

झीनी झीनी बीनी चदरिया – कबीर

रहना नहिं देस बिराना है – कबीर

साधो ये मुरदों का गांव – कबीर

विरह का अंग – कबीर

रे दिल गाफिल गफलत मत कर – कबीर

सुमिरण का अंग – कबीर

मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में – कबीर

राम बिनु तन को ताप न जाई – कबीर

तेरा मेरा मनुवां – कबीर

भ्रम-बिधोंसवा का अंग / कबीर

साध का अंग – कबीर

घूँघट के पट – कबीर

हमन है इश्क मस्ताना – कबीर

सांच का अंग – कबीर

सूरातन का अंग – कबीर

हमन है इश्क मस्ताना / कबीर

रहना नहिं देस बिराना है / कबीर

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया – कबीर

कबीर की साखियाँ / कबीर

मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी – कबीर

अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू / कबीर

अंखियां तो छाई परी – कबीर

ऋतु फागुन नियरानी हो / कबीर

घूँघट के पट – कबीर

साधु बाबा हो बिषय बिलरवा, दहिया खैलकै मोर – कबीर

करम गति टारै नाहिं टरी / कबीर

Similar questions