Hindi, asked by om3270914, 9 months ago

Kabir or rahim ke 5 saaman arth wale dohe

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Answered by sonisiddharth751
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Answer:

कबीर जी के दोहे :-

* गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥

* यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान

शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्त जान ।

*सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।

* ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।

औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।

* बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर ।

बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।

रहीम जी के दोहे :-

* रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय |

टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय”

* तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।

कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान||

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