Hindi, asked by Anckhangelia, 1 year ago

kabir sakhi ki summary?

Answers

Answered by Chirpy
14

ऐसी बाँणी बोलिए मन का आपा खोई।
अपना तन सीतल करै औरन कैं सुख होई।।

कबीर दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को इस प्रकार बात करनी चाहिए चाहिए जिससे सुनने वाला मोहित हो जाए। प्यार से बात करने से अपने मन को शांति तो मिलती है और दूसरों को भी सुख मिलता है। आजकल की दुनिया में सही रूप से संपर्क करना बहुत आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र में तरक्की करने के लिए वाक्पटुता बहुत महत्वपूर्ण है।


कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।
ऐसे घटी घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥

कबीर दास जी कहते हैं कि हिरण की नाभि में कस्तूरी होता है, लेकिन हिरण उसके बारे में नहीं जानता है। इसलिए वह उस सुगंध को पूरे जंगल में ढ़ूँढ़ता है। ऐसे ही भगवान हर किसी के अंदर वास करते हैं पर हम उन्हें देख नहीं पाते हैं। कबीर दास जी कहते हैं कि तीर्थ स्थानों में भटकने और भगवान को ढ़ूँढ़ने से अच्छा है कि हम उन्हें अपने अंदर तलाश करें।





Answered by BrainlyQueen01
15
नमस्ते मित्र !

_______________________

प्रस्तुत कविता महाकवि श्री कबीर दास जी द्वारा लिखित कविता है ।

कबीर के जन्म और मृत्यु के बारे में अनेक किंवदंत प्रचलित है । है कहा जाता है की सन् 1398 में काशी में उनका जन्म हुआ और सन् 1518 के आस पास मगहर में देहांत।

कबीर ने विधिवत शिक्षा नहीं पाई थी परंतु सत्संग, पर्यटन तथा अनुभव से उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था।

कबीर अत्यंत उदार , निर्भय तथा सद्गृहस्थ संत थे।

कबीर की भाषा ही उनकी काव्यात्मकता की शक्ति हैं।

_______________________

प्रश्न के लिए धन्यवाद!

☺️☺️☺️
Attachments:
Similar questions