Hindi, asked by jayadumka, 2 months ago

४-ककसी एक विषय पर अनुच्छेद ललखो -5

क –व्यायाम से लाभ अथिा समय का महत्व
bht chotta hone chahiye

Answers

Answered by nunuisnunuforever
7

Answer:

U mean किसी

Explanation:

भूमि:

मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है, कदम-कदम पर उसे चुनौतियों का सामाना करना पड़ता है। सारी समस्याओं से वह अकेला नहीं लड़ सकता। उसे कुछ मित्रों की आवश्यकता होती है। लेकिन मित्र वही जो मुसीबत में काम आए। यदि किसी को जीवन में सच्चा, स्वार्थहीन मित्र मिल जाए, तो उसका तो कल्याण ही हो जाएगा।

मित्रता की परिभाषा :

सच्ची मित्रता वह है जहाँ मित्र का दुख अपना दुख लगे और मित्र का सुख अपना सुख। सच्चा मित्र अपने मित्र को कुमार्ग पर चलने से रोकता है और सुपथ का मार्ग दिखाता है। वह उसके गुणों की भरपूर प्रशंसा करता है लेकिन हर दुख-सुख में अपने मित्र के साथ खड़ा होता है।

मित्रता :

अनमोल सम्पत्ति : मित्रता ही सच्चा धन है। जिसके जितने अधिक सच्चे मित्र होते हैं, वह उतना ही अधिक धनी होता है। संसार में उसकी प्रतिष्ठा होती है। इंसान की पहचान उसके मित्रों से ही होती है। अच्छे तथा सच्चे मित्र की संगति जीवन को सरल, सुखी तथा सम्मानीय बनाती है। मुश्किल समय में धन इतना काम नहीं आता, जितना कि किसी सच्चे मित्र की मित्रता काम आती है।

अच्छी मित्रता के लाभ :

अच्छी मित्रता के अनेक लाभ हैं। इससे जीवन का मार्ग सरल हो जाता है। कठिन से कठिन कार्य भी सरल लगने लगता है। जीवन में सुख-आनंद बढ़ता है। सच्ची मित्रता से एक-दूसरे पर विश्वास बढ़ता है। अच्छी मित्रता से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।

बुरी मित्रता से हानि :

सच्ची मित्रता यदि हमारा कल्याण कर सकती है तो बुरी मित्रता हमें गर्त में भी गिरा सकती है। वह पैर में बँधी चक्की के समान है। एक व्यक्ति के पैरों में यदि चक्की बाँध दी जाए, तो वह तैर नहीं सकता। पैरों में बँधी चक्की अच्छे से अच्छे तैराक के पैरों में बेड़ियाँ डाल देती है। उसी प्रकार बुरे व्यक्ति की मित्रता विनाश का कारण बनती है तथा पतन की ओर ले जाती है।

सच्ची मित्रता के कुछ उदाहरण :

इतिहास सच्ची मित्रता के उदाहरणों से भरा पड़ा है। कृष्ण और सुदामा की सच्ची मित्रता से तो सभी परिचित हैं। कृष्ण राजकुमार थे और सुदामा गरीब ब्राह्मण। लेकिन दोनों की मित्रता के बीच पैसा कभी नहीं आया और कृष्ण भगवान ने सुदामा की सहायता की। ऐसी ही मित्रता रामचन्द्र जी तथा सुग्रीव के बीच भी थी।

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