कर्मधारय समास और द्विगु समास में अंतर स्पष्ट कीजिए
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Explanation:
- द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पर की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है। 2- द्विगु समास का पहला पद ही विशेषण बन कर प्रयोग में अता है जबकि कर्मधारय में कोई भी पद दूसरे पर का विशेषण हो सकता है।
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द्विगु और कर्मधारय समास में अंतर
(i) द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है।
(i) द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है।(ii) द्विगु का पहला पद ही विशेषण बन कर प्रयोग में आता है जबकि कर्मधारय में कोई भी पद दूसरे पद का विशेषण हो सकता है। जैसे-
नवरत्न- नौ रत्नों का समूह- द्विगु समास
चतुर्वर्ण- चार वर्णो का समूह- द्विगु समास
पुरुषोत्तम- पुरुषों में जो है उत्तम- कर्मधारय समास
रक्तोत्पल- रक्त है जो उत्पल- कर्मधारय समास
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