‘करुणा सोते की तरह दिल से फूट निकली।’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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कहानीकार नागर जी ने एटम बम के हमले से बर्बाद हुए लोगों के क्रोध और आक्रोश के साथ-साथ उनकी बेबसी और करुणाजनक स्थिति को भी व्यक्त किया है। लोगों के हृदय में पराजय की भावना आँसुओं के रूप में बहकर निकल रही थी।
कोबायाशी की आँखों में जहरीले धुएँ से भरे हुए पानी के साथ-साथ करुणा के आँसू भी ढुलकते जा रहे थे। ये आँसू हिरोशिमा के लाखों लोगों के मन की दैन्यावस्था को प्रकट कर रहे थे।
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