karak and its types with examples in hindi
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संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की वजह से एक वस्तु की दूसरी वस्तु से संबंध का पता चले उसे संबंध कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिन्ह का, के, की, रा, रे, री आदि होते हैं। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं। (i) सीतापुर, मोहन का गाँव है।
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संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
इन दो 'परिभाषाओं' का अर्थ यह हुआ कि संज्ञा या सर्वनाम के आगे जब 'ने', 'को', 'से' आदि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही 'कारक' कहलाता है।
कारक के भेद -
1. कर्ता कारक
2. कर्म कारक
3. करण कारक
4. संप्रदान कारक
5. अपादान कारक
6. संबंध कारक
7. अधिकरण कारक
8. संबोधन कारक
कारक
लक्षण
चिन्ह
विभक्ति
(i)
कर्ता
क्रिया को पूरा करने वाला
ने
प्रथमा
(ii)
कर्म
क्रिया को प्रभावित करने वाला
को
द्वितीया
(iii)
करण
क्रिया का साधन
से, के द्वारा
तृतीया
(iv)
सम्प्रदान
जिसके लिए काम हो
को, के लिए
चतुर्थी
(v)
अपादान
जहाँ पर अलगाव हो
से
पंचमी
(vi)
संबंध
जहाँ पर पदों में संबंध हो
का, की, के, रा, री, रे
षष्ठी
(vii)
अधिकरण
क्रिया का आधार होना
में, पर
सप्तमी
(viii)
सम्बोधन
किसी को पुकारना
हे, अरे!, हो!
Explanation:
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