कश्मीर-समस्या | Write an essay on Kashmir Issues in Hindi
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“कश्मीर समस्या”
लंबी ब्रिटिश हुकूमत के बाद जब भारत 1947 में आजाद हुआ। भारत रियासतों के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा था। रियासतों के विलय का कार्य चल रहा था, सभी राजाओ ने भारत के पक्ष में मतदान दिया लेकिन जूनागढ़, हैदराबाद पाकिस्तान के पक्ष में थे।
कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह अपना स्वतंत्र राज्य चाहते थे। भारत और पाकिस्तान की क्षेत्रों का बंटवारा हो चुका था और सीमाओं का निर्धारण भी हो चुका था लेकिन फिर भी मोहम्मद अली जिन्ना ने परिस्थिति का लाभ उठाते हुए 22 अक्टूबर 1947 को कवायली लुटेरों के वेश में पाकिस्तानी सेना को कश्मीर भेज दिया, बढ़ती हुई सेना के आगे राजा हरिसिंह की सेना ने हथियार डाल दिए और उन्हें तुरंत भारत सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सहायता के लिए पत्र लिखा। और अपनी रियासत को भारत में विलय करने का आग्रह किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा और उनके द्वारा कब्जा किए कश्मीरी क्षेत्र को पुनः प्राप्त करते हुए तेजी से आगे आगे बढ़ रही थी तभी बीच में ही 30 दिसंबर 1947 को नेहरू जी ने यू एन ओ से अपील की कि पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम लुटेरों को भारत पर आक्रमण करने से रोके।
तभी से ही यह कश्मीर का मुद्दा यू एन ओ में चला गया।
इसके बाद पाकिस्तान ने फिर अपने सेना के साथ 1965 में कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयास किया था जिसके चलते वहां पर भी उसको भारतीय फौज का सामना कर मुंह की खानी पड़ी थी। कश्मीर मुस्लिम बहुल प्रदेश है और पाकिस्तान कई तरह के हथकंडे अपनाता है कि कश्मीर में अशांति फैली अराजकता फैली ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह कह सकी कि कश्मीरियों के साथ अत्याचार हो रहा है। कश्मीर में आतंकवाद बहुत बढ़ चुका है आतंकवाद के चलते करीब सात लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया वह जम्मू सहित देश के कई राज्यों में बसे हुए हैं।
कश्मीर समस्या की जड़ है धारा 170 जिसकी वजह से ही कश्मीर का पूर्ण रूप से भारत में विलय नहीं हो पाया है। आज कश्मीर आतंकवाद से पीड़ित है लाखों के हिसाब से लोग मर गए और सैकड़ों जवान शहीद हो गए। वहां की जनता बड़े कष्ट सह रही है। लेकिन भारतीय सेना ने वहां की जनता को शिक्षित किया और समझाया कि आप आतंकवादियों का साथ मत दो, अपने बच्चों को पढ़ाओ लिखाओ।