कठपुतली को अपने पावों पर खड़ी होने की इच्छा है,लेकिन वह कयो नही खड़ी होती?
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कठपुतली को अपने पांव पर खड़े होने की इच्छा है लेकिन वह खड़ी नहीं हो पाती क्योंकि वह दूसरों की ग़ुलाम है उसका पूरा शरीर धागों में बंधा हुआ है उसे उनके इशारों पर नाचना पड़ता है वह मनचाहा नहीं कर पाती। धागे में बंधना उसे पराधीनता लगती है । स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए केवल इच्छा ही नहीं क्षमता की भी जरूरत होती है जो कठपुतली में नहीं है।
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अपने पांव पर खड़े होने के बावजूद खड़ी नहीं होती है क्योंकि उसमें अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति नहीं है केवल इच्छा के दम पर अपने पैरों पर खड़े होने का जोखिम नहीं उठा पाती वह डर जाती हैं कि कहीं इस में उसे था उन्हें कठपुतलियों को कुछ ना हो जाए।
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