कवि कृपाराम खिडिया के अनुसार किस नगर में नहीं रहना चाहिए?
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कवि कृपाराम खिड़िया के अनुसार उस तरह के नगर में कभी नहीं रहना चाहिए जहाँ गुण और अवगुण में कोई अंतर नहीं किया जाता हो।
जहाँ के लोग अच्छाई और बुराई में कोई अंतर नहीं कर पाते हो। जहाँ पर खल, गुड़ तथा अन्न को एक जैसा महत्व दिया जाता हो, उस नगर में कभी नहीं रहना चाहिए। ऐसे नगर में जहाँ के लोग गुणों और अवगुणों के बीच के अंतर को नहीं समझ पाते वहाँ पर मूर्ख और विद्वान हों या गुणी और अवगुणी तब एक जैसे हो जायेंगे। इसलिए गुण और विशेषताओं पर ध्यान दिए बिना ही जब गुणी व अवगुणी में कोई भेद नही किया जाता हो तो वहाँ पर कोई भी गुणी व स्वाभिमानी व्यक्ति सम्मानपूर्वक नही रह सकता। इसलिये ऐसे नगर में कभी नही रहना चाहिये।
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