कविता पंख लगा कर कहां कहां उड़ सकती है
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कविता पंख लगा कर मानव के आंतरिक वह बाहय रूप मैं उड़ान भरती है। वह एक घर से दूसरे घर तक उड़ सकती है।
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कविता पंख लगा कर अनेक जगह उड़ सकती है, इसकी कोई सीमा नहीं है। कवि कविता की उड़ान व्यापक है कविता कल्पना के पंख लगा कर ना जाने कहां से कहां तक जा पहुंचती है। उसकी उड़ान हसीन होती है। कविता पंख लगाकर मानव के आंतरिक व बाह्य रूप में उड़ान भरती है। कविता एक काल से लेकर आनेको काल तक अपना उड़ान भरती रहती है। इसका कोई सीमा नहीं है, एक कालखंड से लेकर आनेको कालखंड तक आपने उड़ान भरती रहती है। कविता पंख लगा कर मानव के आंतरिक भावनाओं तक उड़ान लगाती है।
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