kavyans
कतने ह कटुतम काँटे तम मेरे पथ पर आज sबछाओ ु ,और अरे चाहे नhठुर कर का भी धुंधला दप बुझाओ।
bकंत नहं मेरे पग ने पथ पर बढ़कर bफरना सीखा है। ु
म5ने बस चलना सीखा है।
कहं छुपा दो मंिज़ल मेर चारI ओर नमर-घन छाकर,चाहे
उसे राख कर डालो नभ से अंगारे बरसाकर,पर मानव ने तो पग के नीचे मंिज़ल रखना सीखा म5ने बस चलना सीखा है।
कब तक ठहर सक8 गे मेरे सFमुख ये तफ़ान भयंकरकब तक ू
मुझसे लड़ा पाएगा इंRराज का वx 3खरतरमानव कL ह अिUथमा7 से वxI ने बनना सीखा है।
म5ने बस चलना सीखा है।
34न 6- मानव के सामने [या नहं $टक पाता ?
( क)-पहाड़ (ख-) समुR (ग )- भयंकर से भयंकर तूफान (घ) –इनम8 से कोई नहं ।
34न 7 -साहसी मानव कL मंिजल कहाँ रहती है ?
(क )–आसमान म8 (ख) –साहसी मनुhय के पैरI तले (ग )– पcरवार म8 (घ)- म7I के साथ ।
34न 8- अिUथमा7 से वx बनना’ इस पंि[त से bकस कथा कL ओर संके त bकया गया है ?
(क) शव कथा (ख) –इ&R कथा (ग) –पुराण कथा (घ) दधीच कथा कL ओर
34न 9 -इंR का पया(यवाची श{द लख8 ।
(क) देवराज (ख) –नीलकं ठ (ग) दवाकर (घ) भाUकर
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Kavyans कतने ह कटुतम काँटे तम मेरे पथ पर आज sबछाओ ु ,और अरे चाहे नhठुर कर का भी धुंधला दप बुझाओ। bकंत नहं मेरे पग ने पथ पर बढ़कर bफरना सीखा है। ु म5ने बस चलना सीखा है।
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