khel kud me kirtiman rachti mehilay par anuched
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खेल कूद में कीर्तिमान रचती महिलाय
आजकल महिलाएं खेल सहित सभी क्षेत्रों में एक मुकाम बना रही हैं, अधिकांश अंतरराष्ट्रीय खेलों में जैसे ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स आदि में महिलाओं के लिए अलग-अलग आयोजन होते हैं।
यह देखा गया है कि महिलाएं उन खेल स्पर्धाओं में भाग लेने से नहीं डरती हैं जो पुरुषों पर लंबे समय से हावी थीं। महिलाएं आजकल खेल गतिविधियों जैसे मुक्केबाजी, कुश्ती आदि से जुड़ रही हैं।
इस बार के अलंपिक खेलों में महिलाओं ने जो प्रदर्शन दिखाया है, वह काबिले तारीफ हैं। भारत जैसे देश में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार ही मिल नहीं पाता है, ऐसे में खेलों में भागीदारी न के बराबर है। मगर जितनी भी महिलाओं ने भागीदारी दी है, उसने भारत का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखना आरंभ कर दिया है। इसे देखते हुए हम कह सकते हैं कि समय बदल रहा है और माता-पिता अब बेटियों को शिक्षा ही नहीं खेलों में भाग लेने दे रहे हैं।
भारत ने ओलंपिक खेलों में भाग लिया है। भारत के 93 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। विडंबना देखिए कि भारत को मात्र दो पदक मिले हैं। मगर खुशी की बात देखिए कि ये पदक दोनों महिलाओं ने दिलाए हैं।
इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदियों को कांटे की टक्कर दी है। ललिता बाबर ने 3000 मीटर के फाइनल में पहुँची मगर बाद में उन्हें असफलता हाथ लगी, दीपिका करमाकर ने जिन्मास्टिक में चौथे स्थान में रही। इन खिलाड़ियों की हार से हमें निराशा अवश्य हाथ लगी है मगर इन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत में महिलाएँ अब प्रबल दावेदार के रूप में उभरने लगी हैं। इन्होंने सिद्ध कर दिया है कि भारतीय महिला खिलाड़ियों में भी दम है।
महिला के एकल बैडमिंटन मुकाबले में पी.वी. सिन्धू ने रजत पदक और इसके साथ ही साक्षी मलिक ने कुश्ती के 58 किलोग्राम में काँस्य पदक जीतकर भारत को एक पदक दिलाया है।
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(1st line 10th word correction-पुरुषों)