Kya mera kavita achha hai
चलो फिर बचपन की वो
प्यारी मा की लोरी सुना दो
मै कहूं वो लम्हे मेरा बचपन
मुझे फिर लौटा दो
थपकियां हल्के हाथों की
कंधे पर सोने वाली बातों की
फिर कोई पारियों के किस्से सुना दो
मै कहूं मेरा बचपन मुझे फिर लौटा दो
_ जान्हवी राव
( 2)
कब बीत गया बचपन सबका
ना खबर हुए यौवन आया
दुनिया की सारी बोझ यहां
साथ अपने वो लेकर आया
आज यहां पर बाते वो
बहुत कचोट सी देती है
बचपन की सारी गलती क्यों
माफ़ी के काबिल होती है
कक्षा की सारी बाते वो
हमेशा याद सी आयेंगी
शोर में गीत चिल्लाने का
वो गंदी यादे सताएगी
हमेशा याद रहेगी वो टॉफी,चिप्स
के पैकेट खाने का
फिर धीरे से नीचे गिरकर
पैर से आगे खिसकने का
_ जान्हवी राव
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it's very nice...... ☺️
yash842004:
thanks for brainliest
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1
yeah it's good the poem it had been written by u or stolen from internet because I have read it somewhere
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