लेखक को हामिद खां की याद कैसे आई ?
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लेखक को हामिद खाँ की याद तब आई जब लेखक ने तक्षशिला में आग लगने की खबर पढ़ी।
‘हामिद खाँ’ पाठ में लेखक ने समाचार पत्र में तक्षशिला में आगजनी की घटना पढ़ी तो लेखक ने भगवान से विनती की कि हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी की घटना से कोई नुकसान नहीं हुआ हो।
लेखक को दो साल पहले की वह घटना याद आ गई, जब तक्षशिला में पौराणिक खंडहर देखने गया था। कड़कड़ाती धूप और भूख-प्यास के कारण लेखक का बुरा हाल हो रहा था, तभी रेलवे स्टेशन से करीब पौने मील की दूरी पर एक गाँव में लेखक को एक दुकान नजर आई, जहाँ पर चपाती सेंकी जा रही थी। चपाती की महक से लेखक दुकान में चला गया। वहाँ पर लेखक की मुलाकात आम अधेड़ उम्र के एक पठान से हुई, जिसका नाम हामिद कहा था, वहीं पर लेखक का हामिद खाँ से दोस्ताना हो गया।
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