लेखक को किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक कैसे लगा?
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उत्तर :
लेखक के घर में बाल पत्रिकाएं आती थी जिनमें मजेदार कहानियां होती थी । लेखक हर वक्त उन्हें पढ़ता रहता। यहां तक कि खाना खाते समय भी वह थाली के पास पत्रिकाएं रखकर पढ़ता। धीरे-धीरे उसके घर में आने वाली अन्य पत्रिकाओं ‘सरस्वती’ और ‘आर्यमित्र’ को भी पढ़ना शुरू कर दिया। उनकी सबसे अधिक प्रिय स्वामी दयानंद की जीवनी पर लिखी पुस्तक थी। इसमें अनेक चित्र थे और रोचक शैली में उनके जीवन के अनेक घटनाओं का वर्णन था। ये सभी घटनाएं लेखक को प्रभावित करती थी। इसी कारण वह बार-बार उसे पढ़ता। इस प्रकार उसे किताबें पढ़ने का शौक लग गया।।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
ShreyaMahi7:
nyccc....
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लेखक के घर पर किताबों के नियमित रूप से आने और उसके लिए भी किताबें आने से उसे बचपन में किताबें पढ़ने का शौक लग गया l वह हर समय किताबों में ही खोया रहने लगा खाना खाते समय भी वह किताब पढ़ता रहता था l बड़ी किताबों के विषय समझ में नहीं आते थे मगर वह उनको भी पढ़ते हुए उन्हें समझने की कोशिश करता था l
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