लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है
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मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में। आशय यह है कि शब्द में रस निहित है। ... इसे मिट्टी से उसी तरह से अलग नहीं किया जा सकता है जैसे रस को शब्द से, देह को प्राणों से और चाँदनी को चाँद से।
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लेखक न धूल और मिटटी में अंतर बताते हुए यह लिखा है की धूल मिटटी का ही अंश है। धूल मिटटी से ही बनती है। जिन फूलों को हम अपनी वप्रय वस्तओु का अपमान बनातेहैं, वे सब मिटटी की ही उपि हैं। फूलों
में जो रस, रंग, सुगंध और कोमलता आटद हैवह भी तो ममट्टी की उपि है। ममट्टी और धूल मेंउतना ही अंतर
है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में है। ममट्टी की चमक और सुंदरता ही धूल
के नाम से ही जनि जाती है। मिटटी के गणु , रूप-रंग की पहचान भी तो धूल से ही होती है। धूल ही मिटटी का
स्वाभाववक श्वेत रंग होता है।
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