laziness the biggest enemy of mankind an essay in hindi
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आलस्य बड़ा शत्रु है |
महान राजा सिकंदर विश्व विजय को निकला था । उसकी सेना में योद्धाओं की भरमार थी । उस कालजयी सेना ने कई युद्ध जीत लिए थे । उसी सेना में जांबाज नाम का एक सिपाही था । नाम के अनुरूप वह बहुत ही बहादुर था । सिकंदर उसकी वीरता पर बड़ा ही प्रसन्न था । जांबाज का घोड़ा भी ऐसा ही बलवान था ।
वह शत्रुओं के बीच ऐसी तूफानी गति से दौड़ता कि शत्रु चकित रह जाते । जांबाज ने उस घोड़े का नाम टाइगर रखा था । स्वयं सिकंदर उस घोड़े की प्रशंसा करता था । एक दिन जांबाज टाइगर पर सवार होकर एक पहाड़ी रास्ते से गुजर रहा था । टाइगर मस्ती में दौड़ा चला जा रहा था ।
अचानक उसका एक पैर पत्थर से टकराया । उस ठोकर से उसकी एक नाल निकल गई । टाइगर को चलने में कष्ट होने लगा । उसके पैर में कंकड़ चुभ रहे थे । जांबाज ने घोड़े का कष्ट समझ लिया, परंतु उसने उसकी चिंता नहीं की । ऐसी चोट से घोड़े को क्या फर्क पड़ता था ।
उसने इस घटनाको भुला दिया, परंतु जब वह घोड़े पर सवार होता तो उसे याद आता । वह सोच लेता कि आज नाल बंधवा दूंगा, परंतु समय पर वह आलस्य कर जाता । आज-कल, आज-कल करता हुआ वह यूं ही टालता रहा । कई दिन बीत गए । घोड़े का कष्ट ज्यों-का-त्यों था, परंतु जांबाज को फिक्र ही नहीं थी ।
वह सोच लेता कि अभी क्या युद्ध लड़ना है । अचानक एक सुबह युद्ध का बिगुल बज उठा । ”जांबाज, युद्ध की तैयारी करो ।” सेनापति ने हुक्म दिया- ”शत्रु आ पहुंचा है ।” जांबाज चक्कर में पड़ गया । अब इतना समय नहीं था कि घोड़े की नाल लगवा देता । लड़ाई पर जाने में समय ही कितना था ।
वह चुपचाप अस्त्र-शस्त्र लेकर टाइगर पर सवार हो गया । ”मैं अपनी गलती की क्षमा चाहता हूं टाइगर ।” जांबाज अपने घोड़े से बोला- ”यदि मैं तेरी नाल बंधवाने में आलस न करता तो…. । खैर, आज शाम को मैं यह कार्य अवश्य कर दूंगा ।” वह युद्ध के लिए चल दिया ।
टाइगर कष्ट में था, परंतु वह हिम्मत से काम ले रहा था । वह लंगड़ाकर चल रहा था । दुर्भाग्य से उसके दूसरे पैर की नाल भी निकल गई । अब पीड़ा और बढ़ गई थी । शत्रु की सेना सामने थी । भयंकर युद्ध छिड़ गया । टाइगर शत्रुदल के बीच में जा घुसा था । नाल न होने के कारण वह भारी कष्ट में था ।
जांबाज वीरता से लड़ रहा था, परंतु रणभूमि में पड़े नुकीले हथियार टाइगर के पैरों में चुभ रहे थे । अतत: टाइगर गिर पड़ा । जांबाज शत्रुओं द्वारा बंदी बना लिया गया । वह अपने आलस्य पर लज्जित था । वह सिर्फ हाथ मल रहा था । यदि वह समय को नहीं टलता, घोड़े की नाल समय पर बंधवा देता तो इस संकट में क्यों फँसता ।
Thanks.......
Hope this will be helpful for you......
;-))
महान राजा सिकंदर विश्व विजय को निकला था । उसकी सेना में योद्धाओं की भरमार थी । उस कालजयी सेना ने कई युद्ध जीत लिए थे । उसी सेना में जांबाज नाम का एक सिपाही था । नाम के अनुरूप वह बहुत ही बहादुर था । सिकंदर उसकी वीरता पर बड़ा ही प्रसन्न था । जांबाज का घोड़ा भी ऐसा ही बलवान था ।
वह शत्रुओं के बीच ऐसी तूफानी गति से दौड़ता कि शत्रु चकित रह जाते । जांबाज ने उस घोड़े का नाम टाइगर रखा था । स्वयं सिकंदर उस घोड़े की प्रशंसा करता था । एक दिन जांबाज टाइगर पर सवार होकर एक पहाड़ी रास्ते से गुजर रहा था । टाइगर मस्ती में दौड़ा चला जा रहा था ।
अचानक उसका एक पैर पत्थर से टकराया । उस ठोकर से उसकी एक नाल निकल गई । टाइगर को चलने में कष्ट होने लगा । उसके पैर में कंकड़ चुभ रहे थे । जांबाज ने घोड़े का कष्ट समझ लिया, परंतु उसने उसकी चिंता नहीं की । ऐसी चोट से घोड़े को क्या फर्क पड़ता था ।
उसने इस घटनाको भुला दिया, परंतु जब वह घोड़े पर सवार होता तो उसे याद आता । वह सोच लेता कि आज नाल बंधवा दूंगा, परंतु समय पर वह आलस्य कर जाता । आज-कल, आज-कल करता हुआ वह यूं ही टालता रहा । कई दिन बीत गए । घोड़े का कष्ट ज्यों-का-त्यों था, परंतु जांबाज को फिक्र ही नहीं थी ।
वह सोच लेता कि अभी क्या युद्ध लड़ना है । अचानक एक सुबह युद्ध का बिगुल बज उठा । ”जांबाज, युद्ध की तैयारी करो ।” सेनापति ने हुक्म दिया- ”शत्रु आ पहुंचा है ।” जांबाज चक्कर में पड़ गया । अब इतना समय नहीं था कि घोड़े की नाल लगवा देता । लड़ाई पर जाने में समय ही कितना था ।
वह चुपचाप अस्त्र-शस्त्र लेकर टाइगर पर सवार हो गया । ”मैं अपनी गलती की क्षमा चाहता हूं टाइगर ।” जांबाज अपने घोड़े से बोला- ”यदि मैं तेरी नाल बंधवाने में आलस न करता तो…. । खैर, आज शाम को मैं यह कार्य अवश्य कर दूंगा ।” वह युद्ध के लिए चल दिया ।
टाइगर कष्ट में था, परंतु वह हिम्मत से काम ले रहा था । वह लंगड़ाकर चल रहा था । दुर्भाग्य से उसके दूसरे पैर की नाल भी निकल गई । अब पीड़ा और बढ़ गई थी । शत्रु की सेना सामने थी । भयंकर युद्ध छिड़ गया । टाइगर शत्रुदल के बीच में जा घुसा था । नाल न होने के कारण वह भारी कष्ट में था ।
जांबाज वीरता से लड़ रहा था, परंतु रणभूमि में पड़े नुकीले हथियार टाइगर के पैरों में चुभ रहे थे । अतत: टाइगर गिर पड़ा । जांबाज शत्रुओं द्वारा बंदी बना लिया गया । वह अपने आलस्य पर लज्जित था । वह सिर्फ हाथ मल रहा था । यदि वह समय को नहीं टलता, घोड़े की नाल समय पर बंधवा देता तो इस संकट में क्यों फँसता ।
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