Lehar Uthi hai girti aur sab Bhartiya spasht kijiye
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लहरें उठती हैं, गिरती हैं;
यह पंक्तियाँ जीवन का झरना कविता से ली गई है| जीवन का झरना कविता आरसी प्रसाद सिंह द्वारा लिखी गई है|
लहरें उठती-गिरती और सँभलती हैं पंक्ति को मानव जीवन से जोड़ा गया है | जिस प्रकार मौसम हर ऋतु में बदलता है , और नई-नई ऋतु का आनन्द देता है | यह सब लहरों की तरह आती है और संभल कर चली जाती है | हमें हमेशा हिम्मत रख कर हमेशा आगे बढ़ना चाहिए|
जिस प्रकार मौसम हर ऋतु में बदलता है , और नई-नई ऋतु का आनन्द देता है | हर ऋतु अपने हिसाब से आती है और सब को खुशियाँ देती है और चली जाती है | हर ऋतु के जाने के बाद नई ऋतु आती है | उसकी प्रकार मानव जीवन में खुशियाँ आती , दुःख आते है और संभल कर चली जाती है |
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