Hindi, asked by gurneetkaur1313, 8 months ago

Lockdown के समय आपने अपने आसपास व पयावरण म या सधु ार या परवतन देखे ह

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Answered by educatorvs
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Answer:

गाड़ियों के ना चलने के कारण वायु प्रदूषण कम हो चुका है

वाहन दुर्घटना भी कम हो चुकी है

Explanation:

mark as brainliest plz

Answered by saxena12336
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन करने का ऐलान किया था. लेकिन कुछ दिनों पहले से ही स्कूल और दफ़्तरों को बंद किए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका था.

दिल्ली के आनंद विहार में 19 फरवरी को पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 404 आंका गया था जो बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इस स्तर पर स्वस्थ लोगों को काफ़ी नुकसान होता है और बीमार लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ते हैं.लेकिन इसके एक महीने बाद जब स्कूल और दफ़्तर बंद होना शुरू हो गए थे तब ये आँकड़ा 374 रह गया.

इसके दस दिन बाद लॉकडाउन जारी था तब ये आँकड़ा मात्र 210 रह गया. 5 अप्रैल को ये आँकड़ा मात्र 133 रह गया है.

और पूरे दिन का औसत मात्र 101 रहा.

यही नहीं, लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर दिल्ली से होकर गुज़रने वाली यमुना नदी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट से जुड़ीं शाम्भवी शुक्ला मानती हैं कि ये एक ऐसा मौक़ा है जब लोगों को ये अहसास हुआ है कि दिल्ली की हवा साफ़ हो सकती है और साफ़ हवा में साँस लेना कैसा होता है.

वे कहती हैं, "एक शोध के मुताबिक़, दिल्ली के 40 फ़ीसदी वायु प्रदूषण के लिए गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ ज़िम्मेदार है. अब जबकि लॉकडाउन की वजह से ज़्यादातर गाड़ियां सड़कों पर नहीं चल रही हैं तो इसका असर देखने को मिला है."

"लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी. लेकिन इस दौर से आम लोग और सरकार ये सबक ले सकती है कि कुछ क़दमों को उठाने से ही वायु प्रदूषण को आंशिक रूप से कम किया जा सकता है."सरकार गाड़ियों से निकलने वाले धुएँ में कमी लाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मज़बूत बना सकती है. साल 1998 में ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि दिल्ली में बसों की संख्या दस हज़ार की जाए लेकिन इसके 20 साल बाद भी दिल्ली में साढ़े पाँच हज़ार बसें ही मौजूद हैं."

"यही नहीं, दिल्ली में लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर बढ़ाने के लिए सरकार को लोगों के घरों तक पहुंचने वाली सेवाओं को विकसित करना होगा जिससे लोगों को बसों तक आने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

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