Hindi, asked by kumarcaptain6316, 9 months ago

लड़की अभी सयानी नहीं थी।"" कवि इस कथन को ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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Answered by bhatiamona
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लड़की अभी सयानी नही थी। कवि ‘ऋतुराज’ अपनी कविता ‘कन्यादान’ में यह कहना चाहता है कि लड़की अभी सयानी नहीं हुई थी अर्थात वह बड़ी हो गई थी लेकिन उसमें अभी एक वयस्क व्यक्ति की तरह दुनियादारी की समझ नहीं आई थी। वो दिमागी रूप से एक वयस्क व्यक्ति की भांति परिपक्व नहीं हुई थी। लड़की को खुशियां मनाना तो आता था लेकिन उसे दुख का सामना कैसे किया जाए यह नहीं पता था।

उसे बाहरी दुनिया का ज्ञान नहीं था और वो अपनी दुनिया में ही सिमटी हुई थी। उसकी बुद्धि का विकास अभी उतना नहीं हुआ था कि वह बाहरी दुनिया को समझ सके क्योंकि वह बाहरी दुनिया से ज्यादा जुड़ी नहीं थी और जब तक हम अपने दायरे से बाहर निकलते, तब तक हमें जिंदगी के अनुभवों का एहसास नहीं हो पाता और हम अपनी ही बनाए दायरे में सिमट कर रह जाते हैं और उसी को ही पूरी दुनिया समझने लगते हैं। अतः समुचित विकास के लिए आवश्यक है कि हम अपने दायरे से बाहर निकलकर दुनियादारी को समझें।

Answered by ashuguptafzd16
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Answer:

answer of this is

Explanation:

ऋतुराज जी द्वारा रचित कविता 'कन्यादान में माँ को यह लगता है कि बेटी अभी सयानी नहीं है अर्थात अभी उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। वह अभी तक अपनी मधुर कल्पनाओं में खोई हुई है। वह दुख के बारे में अधिक नहीं जानती है। माँ को अपनी पुत्री शारीरिक व मानसिक रूप से अभी छोटी व भोली-भाली लगती है। माँ को लगता है कि बेटी अभी आने वाली सभी ज़िम्मेदारियों को संभालने की दृष्टि से सयानी नहीं है।

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