लड़की की विदाई के क्षण मा के लिए ही विशेषता अधिक दुखद क्यों होते हैं?
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लड़की के विदाई के क्षण माँ के लिए ही विशेषतः अधिक दुखद होते हैं क्योंकि माँ एक नारी होने के नाते अपनी बेटी को ज्यादा अच्छी तरह समझती है। ... अतः माँ अपने जीवन की सबसे बड़ी पूँजी को विदा करते समय अत्यंत दुखी होती है।
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लड़की के विदाई के क्षण माँ के लिए ही विशेषतः अधिक दुखद होते हैं क्योंकि माँ एक नारी होने के नाते अपनी बेटी को ज्यादा अच्छी तरह समझती है। वह भी एक दिन विदा होकर आई थी। वह जानती है कि लड़की को पराए घर जाकर किस प्रकार अपनी इच्छाओं का त्याग करते हुए जीवन में कष्टों का सामना करना होता है। उसने अपनी बेटी को कोमलता और लाड़-प्यार से पाला होता है। विवाह के बाद उसे सबका ध्यान रखते हुए गृहस्थी की चक्की में पिसना होता है। अतः माँ अपने जीवन की सबसे बड़ी पूँजी को विदा करते समय अत्यंत दुखी होती है। बेटी ही उसके सुख-दुख का सहारा व सखी समान होती है। उसे दूसरे को सौंपते समय वह अपने को असहाय महसूस करती है।
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