Hindi, asked by smehta1002, 5 months ago

मुगला कौन था वह सभा में क्यों आया था​

Answers

Answered by PRABEERPATIL
2

Answer:

मुगल राज्य–वंश का परिचय: मध्य एशिया में दो महान जातियों का उत्कर्ष हुआ जिनका विश्व के इतिहास पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। इनमें से एक का नाम तुर्क और दूसरी का मंगोल था। तुर्कों का मूल स्थान तुर्किस्तान और मुगलों या मंगोलों का मंगोलिया था। यह दोनों ही जातियाँ प्रारम्भ में खानाबदोश थीं और अपनी जीविका की खोज में इधर–उधर घूमा करती थीं। यह बड़ी ही वीर, साहसी तथा लड़ाकू जातियाँ थीं और युद्ध तथा लूट–मार करना इनका मुख्य पेशा था। यह दोनों ही जातियाँ कबीले बनाकर रहती थीं और प्रत्येक कबीले का एक सरदार होता था जिनके प्रति कबीले के लोगों की अपार भक्ति होती थी। प्रायः यह कबीले आपस में लड़ा करते थे परन्तु कभी–कभी वह वीर तथा साहसी सरदारों के नेतृत्व में संगठित भी हो जाया करते थे। धीरे–धीरे इन खानाबदोश जातियों ने अपने बाहु–बल से अपनी राजनीतिक संस्था स्थापित कर ली और कालान्तर में इन्होंने न केवल एशिया के बहुत बड़े भाग पर वरन दक्षिण यूरोप में भी अपनी राज–सत्ता स्थापित कर ली। धीरे–धीरे इन दोनों जातियों में वैमनस्य तथा शत्रुता बढ़ने लगी और दोनों एक–दूसरे की प्रतिद्वन्दी बन गयीं। तुर्क लोग मुगलों को घोर घृणा की दृष्टि से देखते थे। इसका कारण यह था कि वे उन्हें असभ्य, क्रूर तथा मानवता का शत्रु मानते थे। तुर्कों में अमीर तैमूर तथा मुगलों में चंगेज़ खां के नाम अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। यह दोनों ही बड़े वीर, विजेता तथा साम्राज्य–संस्थापक थे। इन दोनों ही ने भारत पर आक्रमण किया था और उसके इतिहास को प्रभावित किया था। चंगेज़ खाँ ने दास–वंश के शासक इल्तुतमिश के शासन काल में और तैमूर ने तुगलक–वंश के शासक महमूद के शासन–काल में भारत में प्रवेश किया था। यद्यपि चंगेज़ खाँ पंजाब से वापस लौट गया था परन्तु तैमूर ने पंजाब में अपनी राज–संस्था स्थापित कर ली थी और वहाँ पर अपना गवर्नर छोड़ गया था। मोदी–वंश के पतन के उपरान्त दिल्ली में एक नये राज–वंश की स्थापना हुई जो मुगल राज–वंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस राज–वंश का संस्थापक बाबर था जो अपने पिता की ओर से तैमूर का और अपनी माता की ओर से चंगेज़ खाँ का वंशज था। इस प्रकार बाबर की धमनियों में तुर्क तथा मंगोल दोनों ही रक्त प्रवाहित हो रहे थे। परन्तु एक तुर्क का पुत्र होने के कारण उसे तुर्क ही मानना चाहिये न कि मंगोल। अतएव दिल्ली में जिस राज–वंश की उसने स्थापना की उसे तुर्क–वंश कहना चाहिये न कि मुगल–वंश। परन्तु इतिहासकारों ने इसे मुगल राज–वंश के नाम से पुकारा है और इसे इतिहास की एक जटिल पहेली बना दिया है। अब इस राज–वंश के महत्त्व पर एक विहंगम दॄष्टि डाल देना आवश्यक है।

Similar questions