मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
Answers
Answer:
Explanation:
भगत को अपने पुत्र तथा अपनी पुत्रवधू से अगाध प्रेम था | परंतु उसके इस प्रेम ने प्रेम की सीमा को पार कर कभी मोह का रूप धारण नहीं किया | जब भगत के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो पुत्र मोह में पड़कर वो रोते-विलखते नहीं है बल्कि पुत्र की आत्मा का परमात्मा के मिलन से खुश होते हैं | दूसरी तरफ वह चाहते तो मोहवश अपनी पुत्र वधु को अपने पास रोक सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं करके अपनी पुत्रवधू को उसके भाई के साथ भेजकर उसके दूसरे विवाह का निर्णय किया | सच्चा प्रेम अपने सगे-सम्बन्धियों की खुशी में है |
परंतु मोहवश हम सामनेवाले की सुख की अपेक्षा अपने सुख को प्रधानता देते हैं | भगतजी ने सच्चे प्रेम का परिचय देकर अपने पुत्र और पुत्रवधू की खुशी को ही उचित माना |
निम्नलिखित घटना के आधार पर हम कह सकते हैं कि मोह और प्रेम में अंतर होता है
Explanation:
जब बालगोबिन भगत अपने बेटे की मौत के बाद पुत्रवधु को शोक नहीं बल्कि उत्सव मनाने को कहते हैं तब यह कथन सत्य लगता है कि 'मोह और प्रेम में अंतर होता है'। भगत अपने बेटे से बहुत प्रेम करते थे। वह थोड़ा सुस्त और बोदा था। इस लिए भगत उससे और अधिक प्रेम करते थे। उन्होंने बड़े चाव से उसका विवाह करवाया था। मगर जब उसका देहांत हुआ, तब यकायक उनका मोह जैसे जाता रहा। उन्हें यह एहसास हुआ कि वह वस्तु या जीव अब नहीं रहा जिससे वे प्रेम करते थे। सामने जो है वो तो एक मृत देह है। आत्मा तो परमात्मा से मिलने चली गयी। इसी के साथ भगत के मोह के बादल छँट चुके थे। इसी लिए वे पुत्रवधु से यह कह सके कि शोक नहीं, उत्सव मनाओ।